बचपन में चली गई थी आंखों की रोशनी फिर भी बने बैंक के डिविजनल मैनेजर, ऐसे ही लोगों को काबिल बनाकर दिला रहे जॉब

पॉल वर्तमान में एक पब्लिक सेक्टर बैंक के डिविजनल मैनेजर बन चुके हैं। उन्हें एनजीओ NCPEDP और मल्टीनेशनल कंपनी माइंडट्री ने हाल ही में हेलन कैलर अवॉर्ड से सम्मानित किया है।

Piyush Singh Rajput | Published : Dec 20, 2022 7:01 AM IST / Updated: Dec 20 2022, 12:33 PM IST

ट्रेंडिंग डेस्क. शारीरिक रूप से अक्षम या दिव्यांग लोगों को दुनिया में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, पर पॉल मुद्धा सभी के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं हैं। बचपन में पॉल की आंखों की रोशनी चली गई थी पर उन्होंने इसे कभी अपने जीवन में आड़े आने नहीं दिया। बचपन में बेंगलुरु के व्हाइटफील्ड आवासीय विद्यालय में उन्हें उनके माता-पिता ने छोड़ दिया था। एक अनाथ बच्चे के रूप में पॉल दृष्टिहीन बच्चों के इसी स्कूल में पले-बढ़े। 13 साल की उम्र में उन्हें गोद ले लिया गया, जिसके बाद उन्होंने अपनी किस्मत खुद लिखने की ठानी।

पहले पाई टेलीफोन ऑपरेटर की जॉब

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पॉल बचपन से पढ़ाई में काफी तेज थी। दृष्टिहीन होने बावजूद वे किसी भी चीज को तेजी से सीख लेते थे। उन्हें एसएससी परीक्षा पास करने पर टेलीफोन ऑपरेटर की जॉब मिल गई थी परंतु उन्होंने अपने काम के साथ-साथ अपनी पढ़ाई जारी रखी। इसके बाद उन्होंने इकोनॉमिक्स में मास्टर्स और फाइनेंस में बिजनेस डिग्री हासिल करने के साथ डॉक्ट्रेट की उपाधि भी हासिल की। उन्हें दिव्यांगों को रोजगार में समान अधिकार दिलाने वाले एनजीओ (NCPEDP) और मल्टीनेशनल कंपनी माइंडट्री ने रोल मॉडल बताते हुए सम्मानित किया।

अब अपने जैसे लोगों को दिला रहे जॉब

पॉल वर्तमान में एक पब्लिक सेक्टर बैंक के डिविजनल मैनेजर बन चुके हैं। उन्हें एनजीओ NCPEDP और मल्टीनेशनल कंपनी माइंडट्री ने हाल ही में हेलन कैलर अवॉर्ड से सम्मानित किया है। पॉल खुद एक एनजीओ भी चलाते हैं जो दिव्यांग और शारीरिक रूप से कमजोर लोगों को कंप्यूटर और सॉफ्ट स्किल ट्रेनिंग देकर उन्हें रोजगार दिलाने की संभावनओं को बढ़ाता है। इस एनजीओ का नाम स्नेहदीप ट्रस्ट (Snehdeep Trust) है। पॉल कहते हैं कि दिव्यांगजनों को जॉब नहीं मिलना एक सबसे बड़ी समस्या है। सरकार व विभिन्न कंपनियों को दिव्यांगजनों को भी ज्यादा जॉब देनी चाहिए।

दृष्टिहीन लोग होते हैं ज्यादा प्राेडक्टिव

उन्होंने आगे कहा कि दृष्टिहीन लोग अपनी जॉब को आम लोगों से ज्यादा बेहतरीन और प्रोडक्टिव तरीके से करते हैं। पॉल के मुताबिक किसी कार्य के दौरान एक दृष्टिहीन व्यक्ति का मन नहीं भटकता वह केवल अपने काम पर ही केंद्रित रहता है। इसलिए उसे जो बताया जाता है व बिना डिस्ट्रैक्शन के वो काम समय पर करता है। बता दें कि पॉल मुद्धा के एनजीओ ने अबतक 1300 दिव्यांगजनों को रोजगादर दिलाने में मदद की है, जिसमें से 28 लोगों को स्थाई जॉब मिल चुकी है।

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