एक बार फिर सुर्खियों में रतन टाटा, शख्स ने बताया कैसे टाटा ग्रुप के मालिक ने उसकी मदद की और बदल दी जिंदगी

मशहूर और दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा अक्सर लोगों की मदद करते रहते हैं। एक कंपनी के पार्टनर ने सोशल मीडिया पर किस्सा शेयर करते हुए बताया है कि कैसे रतन टाटा ने उनकी मदद की और उनकी जिंदगी बदल दी। 

नई दिल्ली। रतन टाटा जितनी बड़ी शख्सियत हैं, उतना ही सादगी पसंद उनका व्यक्तित्व। ये दिग्गज उद्योगपति अक्सर सोशल मीडिया पर सुर्खियों में रहते हैं। हाल ही में एक फॉर्मा कंपनी में पार्टनर ने रतन टाटा के साथ अपना अनुभव शेयर किया है। उन्होंने बताया कि कैसे टाटा ने उनके बुरे वक्त में उनकी मदद की और तब वे आज इस मुकाम पर पहुंच सके हैं। 

यह फॉर्मा कंपनी है क्रिस कैपिटल (Chrys Capital) और इसके पार्टनर है संजीव कौल। उन्होंने सोशल मीडिया लिंक्डइन पर अपना शानदार और दिलचस्प अनुभव शेयर किया है। संजीव कौल के मुताबिक, वर्ष 2004 में जब वे कंपनी की शुरुआत करने के लिए जद्दोजहद कर रहे थे, तब इसी क्रम में फंडिंग के सिलसिले में मीटिंग के लिए मुंबई गए हुए थे। 

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संजीव कौल जब मीटिंग से लौट रहे थे, तब उनका चेहरा और हावभाव बता रहा था कि यह बेहद खराब गई। वह प्लेन में अपनी सीट पर बैठे थे। उनसे कहां गलती हुई, किस बात को लेकर निवेशक उनकी बात से सहमत नहीं हुए, यह सब वे अपनी सीट पर बैठकर सोच ही रहे थे कि अपना लैपटॉप खोला मीटिंग में दिखाई गई पीपीटी को देखने लगे। प्लेन में बैकग्राउंड में शोर हो रहा था। अचाानक संजीव का ध्यान जाता है कि शोर थम गया है और सभी लोग बिल्कुल शांत हो गए हैं। 

संजीव को भरोसा नहीं हुआ कि रतन टाटा उनकी बगल की सीट पर बैठे हैं 
इस बीच, संजीव देखते हैं कि उनकी बगल की सीट पर एक शख्स आकर बैठ गया है। इस शख्स को देखते ही संजीव चौंक जाते हैं, क्योंकि वह मशहूर उद्योगपति और टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा थे। संजीव को भरोसा नहीं हो रहा था कि इतनी बड़ी शख्सित उनके बगल में आकर बैठी है। हालांकि, वे फिर अपनी यादों में खो जाते हैं और पीपीटी देखने लगते हैं। रतन टाटा उन्हें उदास देखते हैं तो इस बारे में पूछते हैं। संजीव उन्हें पूरी बात बता देते हैं। 

टाटा ने मदद की, तो कंपनी शुरू हो सकी 
थोड़ी देर बाद रतन टाटा कहते हैं कि आपको हमारी कंपनी की ओर से कॉल आएगी, आप एक बार हमारे मैनेजर को अपना प्रेजेंटेशन दीजिएगा। संजीव रात 9 बजे जब अपने घर पर होते हैं, तब उनके पास फोन आया। यह फोन टाटा ग्रुप की ओर से था। संजीव को अगले दिन पूरे प्रेजेंटेशन के साथ बुलाया गया। तब संजीव ने अगले दिन जो पीपीट दिखाई वो टाटा ग्रुप को पंसद आई और फंडिंग के लिए उनकी ओर से हरी झंडी दे दी गई। इसके बाद संजीव की कंपनी चल पड़ी और वह आज सफल एंटरप्रेन्योर हैं। 

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