Paytm के CEO विजयशेखर शर्मा ने कक्षा 10 में लिखी थी कविता, ट्विटर पर पोस्ट किया तो लोगों से मिले ऐसे रिएक्शन

विजय शेखर शर्मा, जोकि पेमेंट ऐप पेटीएम के संस्थापक और सीईओ भी हैं, ने ट्विटर पर एक कविता पोस्ट की है। यह कविता 1991 में उन्होंने तब लिखी थी, जब वे दसवीं कक्षा के छात्र थे। यह स्कूल मैग्जीन में प्रकाशित भी हुइ थी। 

Asianet News Hindi | / Updated: Aug 09 2022, 05:28 PM IST

नोएडा। पेमेंट ऐप पेटीएम के संस्थापक और सीईओ विजय शेखर शर्मा सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं। उनकी पोस्ट कुछ ही समय में वायरल हो जाती है। शर्मा ने हाल ही में एक कविता माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर पोस्ट की है। दिलचस्प यह है कि कविता खुद विजय शेखर शर्मा ने तब लिखी थी, जब वे दसवीं कक्षा में पढ़ते थे और यह कविता स्कूल की मैग्जीन में प्रकाशित भी हुई थी। 

विजय शेखर शर्मा ने बीते 6 अगस्त को ट्विटर पर कविता की यह फोटो पोस्ट की थी, जिसकी यूजर्स काफी तारीफ कर रहे। यूजर्स के मुताबिक, यह बेहद प्रेरक कविता है। इसे सभी को पढ़ना चाहिए, क्योंकि यकीन है कि सभी इसमें दिलचस्पी लेते होंगे। निर्धनता से सभी रूबरू हुए होंगे या हो रहे होंगे। फोटो में देखा जा सकता है कि यह कविता ज्योत्सना नामक मैग्जीन में  1991 में प्रकाशित हुई और इसके लेखक का नाम है विजयशेखर, जो 10 स यानी 10-C कक्षा का छात्र है। 

 

 

पोस्ट के कैपशन में विजय शेखर शर्मा ने लिखा, मेरे स्कूल के मैग्जीन में प्रकाशित यह कविता मुझे दिखी, जो 1991 में प्रकाशित हुई थी। तब मैं दसवीं कक्षा का छात्र था। इसके साथ उन्होंने हैप्पी मूमेंट का इमोजी भी पोस्ट किया है। इस पोस्ट को साढ़े तीन हजार से अधिक यूजर्स ने पसंद किया है, जबकि करीब ढाई सौ यूजर्स ने इसे रीट्वीट किया है। 

यूजर्स ने कविता को इंस्पायरिंग और मोटिवेशनल बताया 
यह कविता निर्धनता पर लिखी है, जिसका शीर्षक है, विश्वास करो कर्म में। बहुत से यूजर्स ने कविता को सुंदर और शानदार बताया है, जबकि कई यूजर्स ने इसे इन्सपायरिंग और मोटिवेशनल। एक यूजर ने लिखा, वाह, बहुत प्रेरणादायक। दूसरे यूजर ने लिखा, किसी को अपने बचपन के विश्वास के जरिए वर्तमान में जीते हुए देखना वाकई दुर्लभ है। प्रणाम सर। तीसरे यूजर ने लिखा, यह शानदार और अनमोल है। एक अन्य यूजर ने लिखा, इस कविता की सबसे मोटिवेशनल लाइन, उगता सूरज तुम्हें राह दिखा रहा है! एक अन्य यूजर ने लिखा, वाकई प्रेरणादायक, क्या आप अब भी वहीं इंसान हैं। यह अद्भुत है। 

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