केजरीवाल कहते थे ऑक्सीजन की कमी है, अब खुली पोल, जरूरत से 4 गुना ज्यादा मंगा लिया था, दूसरे राज्यों में किल्लत

अप्रैल-मई के महीनों के दौरान कहा गया था कि दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी और कुछ सुविधाओं के अभाव में गंभीर कोविड -19 रोगियों की मौत हो गई थी। इसके बाद केजरीवाल और केंद्र सरकार के बीच बयानों का दौर तेज हो गया था। 
 

Asianet News Hindi | Published : Jun 25, 2021 4:28 AM IST / Updated: Jun 25 2021, 01:03 PM IST

नई दिल्ली. कोरोना की दूसरी लहर में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ऑक्सीजन की कमी को लेकर खूब हो हल्ला मचाया। लेकिन एक रिपोर्ट में पता चला है कि उन्होंने जरूरत से चार गुना ज्यादा ऑक्सीजन की मांग की थी। एक महीने पहले कोविड-19 की दूसरी लहर में सुप्रीम कोर्ट ने ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी गठित की है। उसी कमेटी ने इस बात का खुलासा किया। 

मनीष सिसोदिया ने कहा-ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है
रिपोर्ट पर बवाल मचने के बाद दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का बयान सामने आया है। इसमें उन्होंने बीजेपी पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है। सिसोदिया ने कहा कि ऐसी कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई है। उन्होंने कहा कि जब ऑक्सीजन कमेटी के सदस्यों ने अभी कोई रिपोर्ट अप्रूव ही नहीं की, तो ये रिपोर्ट कहां से आ गई? सिसोदिया ने कहा कि वे भाजपा को चुनौती देते हैं कि वे यह रिपोर्ट लेकर आएं।

केजरीवाल के झूठ के कारण 12 राज्य परेशान हुए
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा-ऑक्सीजन को लेकर जिस तरह की राजनीति अरविंद केजरीवाल सरकार ने किया आज उसका पर्दाफाश हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने एक ऑक्सीजन ऑडिट पैनल स्थापित किया था। उस पैनल की रिपोर्ट कहती है कि दिल्ली सरकार द्वारा ऑक्सीजन की जरूरत 4 गुना बढ़ाकर दिखाई गई थी। अरविंद केजरीवाल के इस झूठ के कारण 12 ऐसे राज्य थे जो अपने ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर प्रभावित हुए क्योंकि सभी जगहों से ऑक्सीजन काटकर दिल्ली भेजना पड़ा। अरविंद केजरीवाल कह रहे थे उनको बहुत ऑक्सीजन की आवश्यकता है। अरविंद केजरीवाल ने ये जघन्य अपराध किया है। 

दूसरे राज्यों से कम करके दिल्ली को सप्लाई की गई ऑक्सीजन
अप्रैल-मई के महीनों के दौरान कहा गया था कि दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी और कुछ सुविधाओं के अभाव में गंभीर कोविड -19 रोगियों की मौत हो गई थी। इसके बाद केजरीवाल और केंद्र सरकार के बीच बयानों का दौर तेज हो गया था। 

दिल्ली हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद केंद्र सरकार ने दिल्ली को ऑक्सीजन देने के अलॉटमेंट को बदला, जिसके बाद ऑक्सीजन की आपूर्ति ज्यादा की जाने लगी थी। लेकिन ये आपूर्ति अन्य राज्यों के खाते से ऑक्सीजन को कम करके दिल्ली को की जा रही थी।
 
300 मीट्रिक टन की थी जरूरत, मांग लिया था 1200 मीट्रिक टन
ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली को उस वक्त करीब 300 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत थी, लेकिन दिल्ली सरकार ने मांग बढ़ाकर 1200 मीट्रिक टन कर दी।

ऑक्सीजन ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली की अत्यधिक मांग के कारण 12 अन्य राज्यों को ऑक्सीजन की भारी कमी का सामना करना पड़ा, क्योंकि अन्य राज्यों की आपूर्ति को कम करके दिल्ली को दी जाने लगी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने डिस्ट्रिब्यूशन पर मांगी थी रिपोर्ट
दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन की होड़ के बीच सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह ने 12 सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन किया था और ऑक्सीजन डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम पर पैनल से ऑडिट रिपोर्ट मांगी थी।

ऑक्सीजन टास्क फोर्स ने पाया कि 13 मई को कई अस्पतालों में ऑक्सीजन टैंकरों को नहीं उतारा जा सका, क्योंकि उनके टैंक पहले से ही 75% से अधिक भरे हुए थे। दिल्ली सरकार ने दिखाया कि अस्पतालों में खपत 1140 मीट्रिक टन थी। लेकिन गलती सुधारने के बाद ऑक्सीजन की जरूरत घटकर 209 मीट्रिक टन रह गई।

 

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