संघर्ष की कहानी: कोरोना की वजह से चली गई टीचर की नौकरी, अब कचरा गाड़ी चलाकर बेटियों को देती हैं खाना

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोरोना महामारी से पहले स्मृतिरेखा की जिंदगी में सब ठीक चल रहा था। कोरोना की वजह से उसका स्कूल बंद था। यहां तक ​​​​कि ट्यूशन भी छूट गया। कोई विकल्प न होने पर बेहरा ने भुवनेश्वर नगर निगम (बीएमसी) में गाड़ी चलाने का काम शुरू कर दिया।

Asianet News Hindi | Published : Jul 4, 2021 4:26 AM IST

भुवनेश्वर. कोरोना महामारी के दौरान भुवनेश्वर में एक स्कूल टीचर ने अपनी नौकरी खो दी। अब घर का खर्च चलाने के लिए नगर निगम में कचरा इकट्ठा करने वाली गाड़ी चला रही है। स्मृतिरेखा बेहरा के एक प्ले और नर्सरी स्कूल में पढ़ाती थीं। वह अपने पति, दो बेटियों और ससुराल वालों के साथ शहर के पथबंधा स्लम में रह रही थी। 

कोरोना से पहले सब ठीक था
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोरोना महामारी से पहले स्मृतिरेखा की जिंदगी में सब ठीक चल रहा था। कोरोना की वजह से उसका स्कूल बंद था। यहां तक ​​​​कि ट्यूशन भी छूट गया। कोई विकल्प न होने पर बेहरा ने भुवनेश्वर नगर निगम (बीएमसी) में गाड़ी चलाने का काम शुरू कर दिया।

सुबह 5 बजे से शुरू होता है काम
गाड़ी शहर से ठोस कचरा उठाने का काम करती है। हर दिन सुबह 5 बजे से दोपहर 1 बजे तक कचरा को डंप यार्ड में पहुंचाना होता है। 

बेहरा ने कहा, कोविड महामारी के कारण स्कूल बंद हो गया। मेरे दूसरे कमाई का जरिया होम ट्यूशन भी बंद हो गया। मैं असहाय थी, क्योंकि महामारी के लिए कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा था। मेरे पति को भी भुवनेश्वर में अपनी निजी नौकरी से कोई वेतन नहीं मिल रहा था।

बेटियों को खाना नहीं खिला पाती थी
उन्होंने कहा, मेरी दो बेटियां हैं। हम महामारी के दौरान उन्हें ठीक से खाना भी नहीं खिला पाते थे। मैंने परिवार चलाने के लिए दूसरों से पैसे लिए। लेकिन उससे बहुत ज्यादा मदद नहीं मिली। मैंने महामारी के दौरान अपने जिंदगी की सबसे खराब स्थिति देखी है।

3 महीने से गाड़ी चला रही हूं
"मैं अभी बीएमसी में कचरा गाड़ी चलाती हूं। मैं ये काम 3 महीने से कर रही हूं। मैं एक सफाई कर्मचारी के रूप में काम करने से कभी नहीं हिचकिचाती क्योंकि मैं अपने काम का सम्मान करती हूं।

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