बेटी की शादी के बाद जब उसकी विदाई होनी होती है, तब रस्म के मुताबिक मसाई समुदाय के पिता को यह काम जरूर करना होता है, तभी बेटी की विदाई का शुभ माना जाता है।
नई दिल्ली। सभी जातियों और धर्मों के लोगों की अपनी रस्में-परंपराएं होती हैं। इनमें कुछ लोगों के रीति-रिवाज तो इतने अजीबो-गरीब होते हैं, जिन्हें जानकर हैरानी होती है। कई बार ये रस्मों-रिवाज परेशानी की वजह भी बन जाती है। बावजूद इसके उस संबंधित धर्म के लोग उसे बड़ी शिद्दत से मानते और पूरा करते हैं। यह काम भले ही दूसरे लोगों को बुरा लगता हो, मगर इन रस्मों को निभाने के पीछे बड़ी वजह होती है। तर्क होते हैं और तभी वे इसे लंबे समय से निभाते चले आ रहे हैं।
ऐसी ही एक रस्म तंजानिया और केन्या में रहने वाले मसाई आदिवासी समाज के लोग निभाते हैं। वैसे तो आदिवासियों की ज्यादातर परंपराएं और रस्म आपको चौंका सकती है, मगर मसाई समुदाय के लोग शादी में लड़की की विदाई के समय जो रस्म निभाते हैं, वह वास्तव में चौंकाने वाला है।
विदाई के समय बेटी के सिर पर थूकते हुए पिता उसे घर के बाहर लाता है
मसाई समुदाय में शादी के बाद जब बेटी की जब विदाई होती है, तब उसका पिता लगातार उसके सिर पर थूकते हुए घर से बाहर तक लाता है। यह शादी में अन्य बड़ी रस्मों की तरह बेहद खास मानी जाती है और इसे कोई भी पिता छोड़ नहीं सकता। अगर पिता नहीं है, तो बेटी का जो भी पुरूष अभिभावक होगा, वह इस अजीबो-गरीब परंपरा का निर्वहन करेगा। बेटी की शादी में यह रस्म सबसे खास मानी जाती है और हर पिता को यह काम करना ही होता है।
बेटी को पिता का एक तरह का खास आशीर्वाद है यह
इसे कुछ लोग बुरा कह सकते हैं, मगर मसाई समुदाय के लोग इसे पिता का खास आशीर्वाद मानते हैं। जिस पिता ने ऐसा करने से इंकार किया या फिर बेटी ऐसा नहीं करने दे तो माना जाता है कि बेटी को पिता का आशीर्वाद नहीं मिला। इसलिए शादी के बाद बेटी जब विदा होती है, तो हर पिता पूरी शिद्दत से इस परंपरा को निभाता है और बेटी के सिर पर थूकते हुए उसे घर से बाहर लाता है, जिससे इस खास आशीर्वाद के जरिए उसका आने वाला भविष्य सुखमय हो।
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