श्राद्ध के 16 दिन होते हैं बहुत खास, इस दौरान ये आसान उपाय करने से कम हो सकता है कालसर्प दोष का अशुभ प्रभाव

हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास की पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्या तक का समय श्राद्ध पक्ष कहलाता है। इस बार श्राद्ध पक्ष का प्रारंभ 2 सितंबर से हो चुका है, जिसका समापन 17 सितंबर को होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष हो, वे अगर श्राद्ध पक्ष में इस दोष के निवारण के लिए उपाय व पूजन करें तो शुभ फलों की प्राप्ति होती है तथा कालसर्प दोष के दुष्प्रभाव में कमी आती है।

Asianet News Hindi | Published : Sep 8, 2020 3:47 AM IST

उज्जैन. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष हो, वे अगर श्राद्ध पक्ष में इस दोष के निवारण के लिए उपाय व पूजन करें तो शुभ फलों की प्राप्ति होती है तथा कालसर्प दोष के दुष्प्रभाव में कमी आती है। कालसर्प दोष मुख्य रूप से 12 प्रकार का होता है, इसका निर्धारण जन्म कुंडली देखकर ही किया जा सकता है। प्रत्येक कालसर्प दोष के निवारण के लिए अलग-अलग उपाय हैं। यदि आप जानते हैं कि आपकी कुंडली में कौन का कालसर्प दोष है तो उसके अनुसार आप श्राद्ध पक्ष में कभी भी ये उपाय कर सकते हैं। कालसर्प दोष के प्रकार व उनके निवारण के लिए उपाय इस प्रकार हैं-

1. अनन्त कालसर्प दोष
- अनन्त कालसर्प दोष होने पर श्राद्ध पक्ष में एकमुखी, आठमुखी या नौमुखी रुद्राक्ष धारण करें।
- यदि इस दोष के कारण स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है तो श्राद्ध के दौरान रांगे (एक धातु) से बना सिक्का पानी में प्रवाहित करें।

2. कुलिक कालसर्प दोष
- कुलिक नामक कालसर्प दोष होने पर श्राद्ध पक्ष दो रंग वाला कंबल अथवा गर्म वस्त्र दान करें।
- चांदी की ठोस गोली बनवाकर उसकी पूजा करें और उसे अपने पास रखें।

3. वासुकि कालसर्प दोष
- वासुकि कालसर्प दोष होने पर रात को सोते समय सिरहाने पर थोड़ा बाजरा रखें और सुबह उठकर उसे पक्षियों को खिला दें।
- श्राद्ध के दौरान किसी भी दिन लाल धागे में तीन, आठ या नौमुखी रुद्राक्ष धारण करें।

4. शंखपाल कालसर्प दोष
- शंखपाल कालसर्प दोष के निवारण के लिए श्राद्ध पक्ष के दौरान किसी भी दिन 400 ग्राम साबूत बादाम बहते पानी में प्रवाहित करें।
- शिवलिंग का दूध से अभिषेक करें।

5. पद्म कालसर्प दोष
- पद्म कालसर्प दोष होने पर श्राद्ध पक्ष के किसी भी दिन से प्रारंभ करते हुए 40 दिनों तक रोज सरस्वती चालीसा का पाठ करें।
- जरूरतमंदों को पीले वस्त्र का दान करें और तुलसी का पौधा लगाएं।

6. महापद्म कालसर्प दोष
- महापद्म कालसर्प दोष के निदान के लिए हनुमान मंदिर में जाकर सुंदरकांड का पाठ करें।
- श्राद्ध के दौरान गरीब, असहायों को भोजन करवाकर दान-दक्षिणा दें।

7. तक्षक कालसर्प दोष
- तक्षक कालसर्प योग के निवारण के लिए 11 नारियल बहते हुए जल में प्रवाहित करें।
- सफेद वस्त्र और चावल का दान करें।

8. कर्कोटक कालसर्प दोष
- कर्कोटक कालसर्प योग होने पर बटुकभैरव के मंदिर में जाकर दही-गुड़ का भोग लगाएं और पूजा करें।
- शीशे के आठ टुकड़े पानी में प्रवाहित करें।

9. शंखचूड़ कालसर्प दोष
- शंखचूड़ नामक कालसर्प दोष की शांति के लिए श्राद्ध के किसी भी दिन रात को सोने से पहले सिरहाने के पास जौ रखें और उसे अगले दिन पक्षियों को खिला दें।
- पांचमुखी, आठमुखी या नौमुखी रुद्राक्ष धारण करें।

10. घातक कालसर्प दोषॉ
- घातक कालसर्प के निवारण के लिए पीतल के बर्तन में गंगाजल भरकर अपने पूजा स्थल पर रखें।
- चारमुखी, आठमुखी और नौमुखी रुद्राक्ष हरे रंग के धागे में धारण करें।

11. विषधर कालसर्प दोष
- विषधर कालसर्प के निदान के लिए परिवार के सदस्यों की संख्या के बराबर नारियल लेकर एक-एक नारियल पर उनका हाथ लगवाकर बहते हुए जल में प्रवाहित करें।
- भगवान शिव के मंदिर में जाकर यथाशक्ति दान-दक्षिणा दें।

12. शेषनाग कालसर्प दोष
- शेषनाग कालसर्प दोष होने पर अंतिम श्राद्ध की पूर्व रात्रि को लाल कपड़े में सौंफ बांधकर सिरहाने रखें और उसे अगले दिन सुबह खा लें।
- श्राद्ध पक्ष में किसी भी दिन गरीबों को दूध व अन्य सफेद वस्तुओं का दान करें।
 

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