सांसारिक कष्टों से मुक्ति दिलाती हैं देवी चंद्रघंटा, नवरात्रि के तीसरे दिन ऐसे करें इनकी उपासना

Published : Sep 30, 2019, 08:29 PM IST
सांसारिक कष्टों से मुक्ति दिलाती हैं देवी चंद्रघंटा, नवरात्रि के तीसरे दिन ऐसे करें इनकी उपासना

सार

शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन (1 अक्टूबर) माता चंद्रघंटा को समर्पित है। यह शक्ति माता का शिवदूती स्वरूप है। इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है।

उज्जैन. असुरों के साथ युद्ध में देवी चंद्रघंटा ने घंटे की टंकार से असुरों का नाश कर दिया था। इनके पूजन से साधक को मणिपुर चक्र के जाग्रत होने वाली सिद्धियां स्वत: प्राप्त हो जाती हैं तथा सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।

इस विधि से करें देवी चंद्रघंटा की पूजा
सबसे पहले चौकी (बाजोट) पर माता चंद्रघंटा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें। चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें। उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका(सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें। इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा मां चंद्रघंटा सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें। इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें। तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें।

ध्यान मंत्र
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्रयं चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

अर्थात: मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है। इनके मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र है। इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। इनके दस हाथ हैं। इनके दस हाथों में शस्त्र आदि हैं। इनका वाहन सिंह है। इनकी मुद्रा युद्ध के लिए तैयार रहने जैसी है। इनके घंटे की भयानक ध्वनि से अत्याचारी दानव, दैत्य आदि सभी डरते हैं।

तीसरे दिन क्यों करते हैं देवी चंद्रघंटा की पूजा?
नवरात्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा होती है। इन देवी ने घंटे की टंकार से असुरों का नाश कर दिया था। असुर यानी आपकी बुरी आदतें। जब आप भक्ति के मार्ग पर उतरते हैं तो बुरी आदतें आपको रोकती हैं। तब देवी चंद्रघंटा के घंटे की आवाज ( अंतरात्मा से निकली आवाज) ही उन पर काबू पा सकती है। देवी चंद्रघंटा सिखाती हैं तो जब आप भक्ति के मार्ग पर उतरें तो अपनी बुरी आदतें छोड़ दें और सिर्फ अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनें, सभी आप इस मार्ग पर आगे बढ़ सकते हैं।

1 अक्टूबर के शुभ मुहूर्त
सुबह 9 से 10.30 तक- चर
सुबह 10.30 से दोपहर 12 तक- लाभ
दोपहर 12 से 1.30 तक- अमृत
दोपहर 3 से 4.30 तक- शुभ

PREV

Recommended Stories

Rukmini Ashtami 2025: कब है रुक्मिणी अष्टमी, 11 या 12 दिसंबर?
Mahakal Bhasma Aarti: नए साल पर कैसे करें महाकाल भस्म आरती की बुकिंग? यहां जानें