आश्विन मास की दशमी तिथि को विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 26 अक्टूबर को है। दशमी तिथि पर दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है। साथ ही इस दिन शस्त्र पूजन करने की भी परंपरा है। आगे जानिए जवारे विसर्जन और शस्त्र पूजा की संपूर्ण विधि
उज्जैन. आश्विन मास की दशमी तिथि को विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 26 अक्टूबर को है। दशमी तिथि पर दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है। साथ ही इस दिन शस्त्र पूजन करने की भी परंपरा है। आगे जानिए जवारे विसर्जन और शस्त्र पूजा की संपूर्ण विधि-
इस विधि से करें दुर्गा प्रतिमा और जवारों का विसर्जन
विसर्जन के पूर्व दुर्गा प्रतिमा का गंध, चावल, फूल, आदि से पूजा करें तथा इस मंत्र से देवी की आराधना करें-
रूपं देहि यशो देहि भाग्यं भगवति देहि मे।
पुत्रान् देहि धनं देहि सर्वान् कामांश्च देहि मे।।
महिषघ्नि महामाये चामुण्डे मुण्डमालिनी।
आयुरारोग्यमैश्वर्यं देहि देवि नमोस्तु ते।।
इस प्रकार प्रार्थना करने के बाद हाथ में चावल व फूल लेकर देवी भगवती का इस मंत्र के साथ विसर्जन करना चाहिए-
गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठे स्वस्थानं परमेश्वरि।
पूजाराधनकाले च पुनरागमनाय च।।
इस प्रकार पूजा करने के बाद दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन कर देना चाहिए, लेकिन जवारों को फेंकना नही चाहिए। उसको परिवार में बांटकर सेवन करना चाहिए। इससे नौ दिनों तक जवारों में व्याप्त शक्ति हमारे भीतर प्रवेश करती है। माता की प्रतिमा, जिस पात्र में जवारे बोए गए हो उसे तथा इन नौ दिनों में उपयोग की गई पूजन सामग्री का श्रृद्धापूजन विसर्जन कर दें।
शुभ मुहूर्त
सुबह 9.00 से 10.30 तक- शुभ
दोपहर 1.30 से 3.00 तक- चर
दोपहर 3.00 से 4.30 तक- लाभ
शाम 4.30 से 6.00 तक - अमृत