ग्रहों के शुभ योग में आज मनेगी हनुमान जयंती, शनि दोष और कोरोना नाश के लिए करें ये उपाय

27 अप्रैल को चैत्र मास की पूर्णिमा है। त्रेतायुग में इसी तिथि पर भगवान शिव के अवतार हनुमानजी का जन्म हुआ था। इस दिन मंगलवार होने से ये दिन और भी शुभ हो गया है। इस दिन और भी विशेष योग बन रहे हैं, जिसके चलते इस दिन किए गए उपाय शीघ्र ही शुभ फल प्रदान करेंगे।  

Asianet News Hindi | Published : Apr 27, 2021 3:10 AM IST

उज्जैन. ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार जब हनुमानजी का जन्म हुआ था, उस समय उच्च के मंगल की उच्च के सूर्य पर दृष्टि थी। इस साल हनुमान जयंती पर सूर्य उच्च का रहेगा। शनि स्वराशि मकर में और गुरु कुंभ राशि में होगा। सूर्य, बुध और शुक्र का योग मेष राशि बना हुआ है। राहु वृषभ में और केतु वृश्चिक राशि में होगा। शनि के मकर में रहते हुए हनुमान जयंती पिछले वर्ष और उससे 28 वर्ष पहले 17 अप्रैल 1992 को मनाई गई थी।

मंगलवार को ही हुआ था हनुमानजी का जन्म
मंगल के उच्च राशि मकर में रहते हुए हनुमानजी का जन्म हुआ था। मंगलवार का हनुमानजी से गहरा संबंध है, क्योंकि उनका जन्म मंगलवार को हुआ था। उनके आराध्य श्रीराम का जन्म भी मंगलवार को ही हुआ था। श्रीराम जन्म के समय भी मंगल उच्च की राशि मकर में ही स्थित था। हनुमानजी का जन्मवार होने की वजह से ही मंगलवार को इनकी विशेष पूजा की जाती है। साथ ही, शनिवार को भी हनुमानजी को अत्यंत प्रिय है, इस बार शनिवार का कारक ग्रह शनि अपनी स्वयं की राशि मकर में रहेगा। इस साल से पहले मंगल और शनि दोनों ही ज्योतिष के अनुसार क्रूर ग्रह माने जाते हैं। इन दोनों ग्रहों को हनुमानजी के पूजन से शांत किया जा सकता है।

शुभ फल पाने के लिए ये उपाय करें
1.
हनुमानजी के जन्मोत्सव पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं। घर के मंदिर में हनुमानजी की विशेष पूजा करें। दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। आपके पास पर्याप्त समय हो तो सुंदरकांड का पाठ करें।
2. शनि की साढ़ेसाती से पीड़ित धनु, मकर व कुंभ व ढय्या से पीड़ित मिथुन व तुला राशि के 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। इससे इनके कष्ट दूर हो सकते हैं।

कोरोना महामारी के नाश के लिए
हनुमान जयंती की सुबह स्नान आदि करने के बाद 108 या अपनी शक्ति अनुसार हनुमान चालीसा का पाठ करें। उड़दे के आटे के दीपक बनाकर सूत के धागे से बत्ती बनाकर, किसी भी तेल का दीपक बना हनुमानजी को लगाएं। इसके बाद नासै रोग हरे सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा चौपाई का जाप करें।

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