
उज्जैन. इस बार जया एकादशी पर मकर राशि में बुधादित्य योग और चंद्र-मंगल के दृष्टि संबंध से महालक्ष्मी योग बन रहा है। साथ ही चंद्रमा पर बृहस्पति की दृष्टि पड़ना शुभ रहेगा। वहीं, शनि स्वराशि में होकर शश योग बना रहा है। ग्रहों की इस शुभ स्थिति से व्रत का पुण्य फल और बढ़ जाएगा। इन शुभ योगों में किया गया व्रत, पूजा और उपाय हर मनोकामना पूरी कर सकती है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्ट के अनुसार, जानिए इस तिथि का महत्व और उपाय…
एकादशी का फल
जया एकादशी व्रत करने वाले के पितृ, कुयोनि को त्याग कर स्वर्ग में चले जाते हैं। एकादशी व्रत करने वाले की पितृ पक्ष की दस पीढियां, मातृ पक्ष की दस पीढियां और पत्नी पक्ष की दस पीढियां भी बैकुण्ठ प्राप्त करती हैं। इस एकादशी व्रत के प्रभाव से पुत्र, धन और कीर्ति बढ़ती है।
व्रत में क्या खा सकते हैं और क्या नहीं?
- इस व्रत में एक समय फलाहारी भोजन ही किया जाता है। व्रत करने वाले को किसी भी तरह का अनाज सामान्य नमक, लाल मिर्च और अन्य मसाले नहीं खाने चाहिए।
- कुटू और सिंघाड़े का आटा, रामदाना, खोए से बनी मिठाईयां, दूध-दही और फलों का प्रयोग इस व्रत में किया जाता है और दान भी इन्हीं वस्तुओं का किया जाता है।
- एकादशी का व्रत करने के बाद दूसरे दिन द्वादशी को भोजन योग्य आटा, दाल, नमक,घी आदि और कुछ धन रखकर सीधे के रूप में दान करने का विधान है।
ये उपाय करें
1. एकादशी पर भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी का अभिषेक गाय के दूध से करें। इससे धन लाभ के योग बनते हैं।
2. भगवान विष्णु को पीले वस्त्र, पीले फूल, पीले रंग की मिठाई चढ़ाएं। इस उपाय से गुरु ग्रह के दोष भी कम होते हैं।
3. एकादशी पर पीपल पर जल चढ़ाएं और पूजा करें। पीपल भी भगवान विष्णु की ही स्वरूप माना गया है।
4. गाय के दूध से खीर बनाएं, उसमें थोड़ा केसर भी डालें। इसका भोग भगवान विष्णु को लगाएं। भोग लगाने से पहले खीर में तुलसी के पत्ते जरूर डालें।
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