Kalashtami 2022: 21 जून को कालाष्टमी पर इस विधि से करें भगवान कालभैरव की पूजा, ये हैं शुभ मुहूर्त और आरती

कालभैरव को भगवान शिव का तीसरा रूद्र अवतार माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, कालभैरव की पूजा से निगेटिविटी खत्म हो जाती है। नारद पुराण के अनुसार, मनुष्य किसी रोग से लम्बे समय से पीड़ित है और अगर वह कालभैरव भगवान की पूजा करे तो उसके रोग, तकलीफ और दुख भी दूर हो सकते हैं।

Manish Meharele | Published : Jun 20, 2022 11:54 AM IST

उज्जैन. कालभैरव को काशी का कोतवाल भी कहा जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी व्रत (Kalashtami 2022) किया जाता है। इस बार 21 जून, मंगलवार को आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को ये व्रत किया जाएगा। ये व्रत भगवान शिव के अवतार कालभैरव को समर्पित है। कई धर्म ग्रंथों में इस व्रत के बारे में बताया गया है। आगे जानिए इस व्रत की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त…

ये हैं कालाष्टमी के शुभ मुहूर्त (Kalashtami 2022 Shubh Muhurat)
आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 20 जून, सोमवार की रात 09.01 से शुरू होगी, जो 21 जून मंगलवार की रात 08.30 पर समाप्त होगी। 21 जून को अष्टमी की उदया तिथि होन से इसी दिन ये व्रत किया जाएगा। 

इस विधि से करें कालाष्टमी पूजा (Kalashtami 2022 Puja Vidhi)
कालाष्टमी की सुबह यानी 21 जून को सुबह स्नान आदि करने के बाद व्रत और पूजा का संकल्प लें। इसके बाद पूजा स्थान को गंगा जल से शुद्ध करें। लकड़ी की चौकी पर भगवान शिव और माता पार्वती के साथ कालभैरव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद फूल, चंदन, गुलाल, अबीर और रोली अर्पित करें। नारियल, मिठाई, पान, मदिरा आदि चीजें चढ़ाएं। चौमुखा दीपक जलाएं और आरती करें। इसके बाद शिव चालीसा या बटुक भैरव कवच का पाठ करें। 

भगवान काल भैरव की आरती
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैंरव देवा। 
जय काली और गौरा देवी कृत सेवा।।
तुम्हीं पाप उद्धारक दुख सिंधु तारक। 
भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक।।
वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी। 
महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयकारी।।
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होंवे। 
चौमुख दीपक दर्शन दुख सगरे खोंवे।।
तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी। 
कृपा करिए भैरव करिए नहीं देरी।।
पांव घुंघरू बाजत अरु डमरू डमकावत। 
बटुकनाथ बन बालक जन मन हर्षावत।।
बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावें। 
कहें धरणीधर नर मनवांछित फल पावें।।


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