कन्या संक्रांति 17 सितंबर को, जानिए स्नान-दान के शुभ मुहूर्त और सूर्यदेव की पूजा विधि

इस बार 17 सितंबर, शुक्रवार को सूर्य राशि बदलकर सिंह से कन्या में प्रवेश करेगा। सूर्य के कन्या राशि में प्रवेश करने से ये कन्या संक्रांति कहलाएगी। धर्म ग्रंथों में इस तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए इस दिन पूजा करना फायदेमंद माना गया है। 
 

Asianet News Hindi | Published : Sep 15, 2021 5:09 AM IST / Updated: Sep 15 2021, 12:13 PM IST

उज्जैन. इस बार कन्या संक्रांति 17 सितंबर को है। यानी इस दिन सूर्य सिंह राशि के निकलकर कन्या राशि में प्रवेश करेगा। संक्रांति पर विश्वकर्मा पूजन भी किया जाता है, जिस वजह से इस तिथि का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। सूर्य संक्रांति पर पवित्र नदी में स्नान कर दान करने का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है।

साल में 12 संक्रांति
ज्योतिष विज्ञान के अनुसार, सूर्य जब एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो इसे संक्रांति कहते हैं। सूर्य हर माह अपनी राशि बदलते हैं। इस प्रकार एक वर्ष में सूर्य इन 12 राशियों में चक्कर लगाते हैं जिस कारण एक साल में 12 संक्रांति आती हैं। कन्या राशि में बुध देव पहले से मौजूद हैं, जिससे कन्या संक्रांति के दिन सूर्य और बुध का मिलन होगा और दोनों इस राशि में बुधादित्य योग का निर्माण करेंगे।

कन्या संक्रांति का शुभ मुहूर्त
पुण्य काल मुहूर्त: 17 सितंबर 2021 सुबह 06:17 से दोपहर 12:15 तक 
महापुण्य काल मुहूर्त: 17 सितंबर 2021 सुबह 06:17 से 08:10 तक
कन्या संक्रांति पर सूर्योदय: 17 सितंबर 2021 सुबह 06:17 
कन्या सक्रांति पर सूर्यास्त: 17 सितंबर 2021 शाम 06:24

कन्या राशि पर सूर्य का प्रभाव
- कन्या राशि के लोगों का समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा। जॉब में प्रमोशन मिल सकता है।
- इस अवधि में आपको शुभ समाचार मिलने की संभावना है। अन्य क्षेत्र में भी सुखद नतीजे मिलेंगे।
- नई जॉब की तलाश कर रहे जातकों को लाभ मिल सकता है। वैवाहिक जीवन के लिए सूर्य का आपकी राशि में आना बहुत ज्यादा अनुकूल नहीं है।
- जीवनसाथी से विवाद की स्थिति बन सकती है। इसलिए विशेष ध्यान रखें।

इस विधि से करें सूर्यदेव की पूजा
- सूर्यदेव की पूजा के लिए सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें। इसके पश्चात् उगते हुए सूर्य का दर्शन करते हुए उन्हें ॐ घृणि सूर्याय नम: कहते हुए जल अर्पित करें।
- सूर्य को दिए जाने वाले जल में लाल रोली, लाल फूल मिलाकर जल दें। सूर्य को अर्घ्य देने के पश्चात्प लाल आसन में बैठकर पूर्व दिशा में मुख करके सूर्य के मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें।
- सूर्य की साधना में मंत्रों का जप करने पर मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती है। सुख-समृद्धि और अच्छी सेहत का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- सूर्य के आशीर्वाद से आपके भीतर एक नई ऊर्जा का संचार होता है। जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता दिलाने वाले सूर्य मंत्र इस प्रकार हैं -
1. ॐ घृणि सूर्याय नमः।।
2. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पतेए अनुकंपयेमां भक्त्याए गृहाणार्घय दिवाकररू।।
3. ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।।

 

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