14 से 29 सितंबर तक किया जाएगा Mahalaxmi Vrat, इससे दूर होती है गरीबी और बनी रहती है सुख-समृद्धि

धर्म ग्रंथों के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की अष्टमी से आश्विन माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तक यानी 16 दिनों का महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat 2021) किया जाता है। इस बार ये व्रत 14 से 29 सितंबर तक किया जाएगा।

Asianet News Hindi | Published : Sep 13, 2021 1:51 AM IST / Updated: Sep 13 2021, 11:19 AM IST

उज्जैन. घर-परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक करने और सुख-समृद्धि, परिवार की रक्षा के लिए भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से आश्विन कृष्ण अष्टमी तक महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat 2021) किया जाता है। व्रत के अंतिम दिन हवन कर ब्राह्मणों को भोजन करवाया जाता है। इस बार ये व्रत 14 से 29 सितंबर तक किया जाएगा। इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य पर महालक्ष्मी माता (Mahalaxmi Vrat 2021) की कृपा बरसती है और आर्थिक स्थिति ठीक होती है।

इस विधि से कैसे करें व्रत और पूजा
- सबसे पहले व्रत प्रारंभ करने वाले दिन हाथ में जल, पुष्प, अक्षत और दक्षिणा लेकर व्रत का संकल्प लें।
करिष्येहं महालक्ष्मी व्रत से स्वत्परायणा ।
तविघ्नेन मे मातु समाप्ति स्वत्प्रसादत: ।।

अर्थ- हे देवि। मैं आपकी सेवा में तत्पर होकर आपके इस महाव्रत का पालन करूंगा। आपकी कृपा से यह व्रत बिना विघ्नों के पूर्ण हो।

- अब सोलह तार का डोरा लेकर उसमें सोलह गांठ लगा लें। हल्दी की गांठ को घिसकर डोरे को रंग लें। इस डोरे को हाथ की कलाई में बांध लें। यह आपका संकल्प सूत्र होगा।
- व्रत पूरा हो जाने पर वस्त्र से एक मंडप बनाएं। उसमें लक्ष्मी माता की मूर्ति स्थापित करें। मूर्ति को पंचामृत से स्नान करावें। सोलह प्रकार की सामग्री अर्पित करें।
- रात में तारों को अ‌र्घ्य दें और देवी लक्ष्मी से संपन्नता की प्रार्थना करें। व्रत रखने वाले स्त्री-पुरुष ब्राह्मणों से हवन करवाएं, खीर की आहूति दें।
- चंदन, ताल, पत्र, पुष्पमाला, अक्षत, दुर्वा, लाल सूत, सुपारी, नारियल तथा विविध प्रकार के पदार्थ नए सूप में सोलह-सोलह की संख्या में रखें।
- इसके बाद दूसरे सूप को ढंककर निम्न मंत्र बोलकर लक्ष्मीजी को अर्पित करें-
क्षीरोदार्णवसंभूता लक्ष्मीश्चंद्र सहोदरा ।
व्रतेनाप्नेन संतुष्टा भवर्तोद्वापुबल्लभा ।।
- क्षीर सागर में प्रकट हुई लक्ष्मी, चंद्रमा की बहन, श्रीविष्णु वल्लभा, महालक्ष्मी इस व्रत से संतुष्ट हों।
- इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराकर व दक्षिणा देकर विदा करें। फिर घर में बैठकर स्वयं भोजन करें।
- इस प्रकार जो व्रत करते हैं, वे इस लोक में सुख भोगकर बहुत काल तक लक्ष्मी लोक में सुख भोगते हैं।

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