Mahashivratri 2022: शिव नवरात्रि 21 फरवरी से, घर पर इस विधि से करें पूजा, रुद्र पाठ करने से मिलते हैं लाभ

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 1 मार्च, मंगलवार को है। कुछ स्थानों पर महाशिवरात्रि के पहले शिव नवरात्रि (Shiv Navratri 2022) का उत्सव मनाया जाता है। ये उत्सव 9 दिनों तक चलता है।

Asianet News Hindi | Published : Feb 20, 2022 7:22 AM IST

उज्जैन. इस बार ये पर्व 21 फरवरी से 1 मार्च तक मनाया जाएगा। प्रमुख तीर्थों जैसे उज्जैन (Ujjain) के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mahakal Temple) में ये उत्सव बहुत ही धूम-धूाम से मनाया जाता है। इस दौरान भगवान शिव का विशेष श्रृंगार किया जाता है व धार्मिक आयोजन भी होते हैं। आमजन भी अगर इन 9 दिनों में भगवान शिव की विशेष पूजा करे तो उन्हें भी शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही इस दौरान कुछ विशेष उपाय भी किए जा सकते हैं। आगे जानिए शिव नवरात्रि से जुड़ी खास बातें व उपाय आदि के बारे में…

महाकालेश्वर में होता है विशेष उत्सव
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, देश और दुनिया के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि से पहले शिव नवरात्रि पर्व विशेष रूप से मनाया जाता है। इसी परंपरा का निर्वाह करते हुए महाकाल सहित विविध शिव मंदिरों में भी शिव नवरात्रि मनाई जाती है। महाकाल मंदिर में विशेष तौर पर  नौ दिनों तक चलने वाले इस उत्सव को धूमधाम से मनाया जाता है और श्रद्धालु बाबा महाकाल के मनोहारी स्वरूप के दर्शन करने कोने-कोने से पहुंचते हैं। महाकाल उज्जैन आने वाले भक्तों को शिव नवरात्रि के दिनों में भगवान के शेषनाग, मनमहेश, चंद्रमौलेश्वर, शिव तांडव, उमा महेश, होल्कर, घटाटोप तथा सप्त धान मुखारविंद में दर्शनों का लाभ मिलता है। 

कैसे मनाएं शिव नवरात्रि?
भोले नाथ की कृपा पाने के लिए आप अगर उज्जैनी आने में वर्तमान कारणों से असमर्थ हैं तो घर पर भी इस पर्व को मना सकते हैं। महाकाल मंदिर उज्जैन आने में असमर्थ भक्त इसके लिए घर में शिव प्रतिमा का अलग-अलग रूपों में उनका श्रृंगार करें और आगे बताई गई विधि से पूजा करें।

ये है पूजा विधि
9 दिनों तक प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें। यदि आप व्रत कर रहे हैं तो व्रत का संकल्प करके पूजा घर में शिवलिंग और मां पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें। पूरे श्रद्धा भाव से पूजन करें। पूजा में पंचामृत, मोली-रोली, कुमकुम, फल-फूल, पंचगव्य, सुपारी, बेल-पत्र आदि चीजें अर्पित कर भगवान की आरती कर दान-पुण्य का लाभ लें। शिवाष्टक, रुद्राष्टक का पाठ करें महामत्युंजय मंत्र का जाप करें।

शिव नवरात्रि में रुद्र पाठ का महत्व 
शिव नवरात्रि में महादेव का अभिषेक-पूजन करने के साथ-साथ अगर पंचामृत अभिषेक-पूजन किजा जाए तो भोलेनाथ की विशेष कृपा होती है। आप चाहें तो किसी योग्य पुजारी से घर पर या किसी शिव मंदिर में यह अनुष्ठान करवा सकते हैं और विधि-विधान से की गई पूजा का फल पा सकते हैं। ब्राह्मणों द्वारा रुद्र पाठ करवाने से भी शिव कृपा के पात्र होते हैं साधक। शिव नवरात्रि के चलते साधक 21 फरवरी से 1 मार्च तक नौ दिन उपवास रखकर अपनी शिव साधना को सफल बना सकते हैं।
 

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