31 जनवरी को सोमवती और 2 फरवरी को मौनी अमावस्या का योग, इन दोनों दिन कर सकेंगे पूजा और उपाय

Published : Jan 29, 2022, 02:05 PM IST
31 जनवरी को सोमवती और 2 फरवरी को मौनी अमावस्या का योग, इन दोनों दिन कर सकेंगे पूजा और उपाय

सार

हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत महत्व बताया गया है। हर महीने के कृष्ण पक्ष के अंत में ये तिथि आती है। इस तरह साल में कुल 12 अमावस्या तिथि होती है, लेकिन कई बार तिथियों की घट-बढ़ के कारण इनकी संख्या बढ़ जाती है। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है।

उज्जैन. ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, इस बार माघ मास की अमावस्या 2 दिन रहेगी। 31 जनवरी को श्राद्ध और 1 फरवरी को मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2022) का योग इस बार बन रहा है। ये दोनों ही तिथि बहुत ही शुभ है। 31 जनवरी को सोमवार होने से ये सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya 2022) कहलाएगी और 1 फरवरी को मौनी अमावस्या का महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है।

चंद्र की सोलहवीं कला है अमा
हिन्दी पंचांग में एक माह के दो पक्ष बताए गए हैं- शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। एक पक्ष 15 दिनों का होता है। शुक्ल पक्ष में चंद्र बढ़ता है। कृष्ण पक्ष में चंद्र घटता है और अमावस्या पर पूरी तरह से अदृश्य हो जाता है। शास्त्रों में चंद्र की सोलह कलाएं बताई गई हैं और सोलहवीं कला को अमा कहते हैं। इस कला में चंद्र की सभी सोलह कलाओं की शक्तियां रहती हैं। चंद्र की सोलहवीं कला की वजह से इस तिथि को अमावस्या कहा जाता है।

मौनी अमावस्या का महत्व व उपाय
- ज्योतिषाचार्य पं. शर्मा के अनुसार माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। ये तिथि पितरों के लिए और पुण्य कर्म करने के लिए काफी खास है। 
- मौनी अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान के लिए हजारों-लाखों भक्त पहुंचते हैं। माघ मास में प्रयाग राज में खास मेला लगता है। 
- अमावस्या तिथि पर तीर्थ स्नान के बाद जरूरतमंद लोगों को दान करने की परंपरा है। इस दिन काले तिल, गर्म कपड़े, जूते-चप्पल का दान जरूर करें। किसी मंदिर में पूजन सामग्री भेंट करें। 
- अमावस्या तिथि के स्वामी पितर देवता हैं। इसलिए अमावस्या पर पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण, श्राद्ध और धूप-ध्यान किया जाता है। 
- अमावस्या पर नदी स्नान के बाद इष्टदेव के मंत्रों का जाप करें। तप और व्रत करें। अमावस्या पर सुबह सूर्यदेव को जल चढ़ाएं।
-  किसी शिव मंदिर जाएं और तांबे के लोटे में जल भरकर अभिषेक करें। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। 
- इस दिन हनुमानजी के सामने दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। छोटे बच्चों को भोजन कराएं और मिठाई का दान करें।

 

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