Nagpanchami 2022: जिंदगी बर्बाद कर देता है ये अशुभ योग, 2 अगस्त को शुभ योग में करें ये 3 उपाय

Nagpanchami 2022: धर्म ग्रंथों के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 2 अगस्त, मंगलवार को है। इस दिन घर-घर में नागदेवता की पूजा की जाती है।

Manish Meharele | Published : Jul 25, 2022 5:29 AM IST

उज्जैन. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति नागपंचमी पर नागदेवता की पूजा करता है उसे सर्प भय से मुक्ति मिल जाती है और उसके परिवार पर भी नागदेवता की कृपा बनी रहती है। ये दिन खास इसलिए भी है क्योंकि इस दिन कालसर्प दोष (Kaal Sarp Dosh) की पूजा के उपाय विशेष रूप से किए जाते हैं। कालसर्प राहु-केतु (Kaal Sarp Dosh Ke Upay) के कारण जन्म कुंडली में बनने वाला एक अशुभ योग है। जिन लोगों की कुंडली में ये होता है, उन्हें अपने जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस योग के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए नागपंचमी पर आगे बताए गए उपाय करें…

नाग को मुक्त करवाएं 
नाग पंचमी पर कालबेलिया जाति के लोग नागों की पूजा करवाने के लिए शहर में लाते हैं। पूजा के नाम पर इन पर अत्याचार भी होता है क्योंकि नागों को जबरन दूध पिलाया जाता है, जिससे इनकी मौत भी हो जाती है। अगर आपको कहीं ऐसे लोग दिख जाएं तो उनसे किसी भी कीमत पर नाग को मुक्त करा लें और जाकर किसी जंगल में उसे छोड़ आएं। काल सर्प दोष के अशुभ प्रभाव को समाप्त करने के लिए ये उपाय बहुत कारगर माना जाता है।

योग्य विद्वान से पूजा करवाएं
नागपंचमी पर कालसर्प दोष की पूजा करवाना बहुत शुभ माना गया है। विद्वानों का मानना है कि ये पूजा उज्जैन और नासिक में करवाना ठीक रहता है। यहां आकर किसी योग्य ब्राह्मण से कालसर्प दोष का पूजन करवाएं। संभव हो तो राहु-केतु का जाप और अनुष्ठान भी करवाएं। जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष है, उन्हें ये उपाय हर नागपंचमी पर करना चाहिए।

इन मंत्रों का जाप करें
नाग पंचमी पर घर या मंदिर में बैठकर नाग गायत्री मंत्र – ओम नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नो सर्पः प्रचोदयात् का कम से कम 108 बार जाप करें। इसके बाद उनसे अपनी भूल की क्षमा याचना करें। इससे भी काल सर्प दोष का असर काफी कम हो जाता है। इस दिन नवनाग स्त्रोत का पाठ करना भी बहुत ही शुभ माना गया है। ये है नवनाग स्त्रोत… 
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्। 
शंखपालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा॥ 
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्। 
सायंकाले पठेन्नित्यं प्रात: काले विशेषत:।



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