बचना चाहते हैं कालसर्प दोष के अशुभ प्रभाव से तो नागपंचमी पर करें ये आसान उपाय

कल (13 अगस्त, शुक्रवार) नागपंचमी (Nag Panchami) है। ज्योतिषियों के अनुसार, जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष है, वे यदि इस दिन कुछ खास उपाय करें तो इस दोष का असर कुछ कम हो सकता है। इस दिन उज्जैन व नासिक में कालसर्प दोष (Kaal Sarp Dosh) मुक्ति के लिए विशेष अनुष्ठान भी किए जाते हैं।

Asianet News Hindi | Published : Aug 12, 2021 4:44 AM IST / Updated: Aug 12 2021, 12:08 PM IST

उज्जैन. ज्योतिष के अनुसार जन्म कुंडली (Horoscope) में कई प्रकार के दोष होते हैं जो हमारे जीवन में परेशानियां लेकर आते हैं। ऐसा ही एक अशुभ योग है कालसर्प (Kal Sarp)। जिस व्यक्ति की कुंडली में ये योग होता है उसे बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। नागपंचमी (Nagpanchami 2021) पर कुछ विशेष उपाय करने से इस अशुभ योग के प्रभाव से बचा जा सकता है। आगे जानिए नागपंचमी (Nagpanchami 2021) पर आप कौन-कौन से उपाय कर सकते हैं... 

1. नाग पंचमी पर किसी सपेरे से नाग और नागिन का एक जोड़ा खरीद लें। उसके साथ एक जंगल में जाएं और वहां इस जोड़े को मुक्त करा दें। काल सर्प दोष के प्रभाव को समाप्त करने के लिए ये उपाय बहुत कारगर माना जाता है।

2. नाग पंचमी पर नाग देवता के दर्शन करके उनका पूजन करें। इसके बाद राहु-केतु का जाप और अनुष्ठान किसी योग्य पंडित से करवाएं, फिर गोमेद या फिर चांदी से बनी नाग की आकृति वाली अंगूठी पहनें। इससे भी काल सर्प दोष का निवारण होता है।

3. नाग पंचमी पर किसी पवित्र नदी में स्नान करके चांदी से बना नाग नागिन का जोड़ा प्रवाहित कर दें। इससे भी काल सर्प दोष दूर होता है।

4. किसी ऐसे शिवलिंग पर जहां पहले से नाग नहीं लगा हुआ हो, वहां पंच धातु का नाग लगवाएं। शिवलिंग का दूध, जल या पंचामृत से अभिषेक करें और नाग देवता को प्रणाम करें। इससे भी काल सर्प दोष के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं।

5. जिसकी कुंडली में कालसर्प दोष हो, वो व्यक्त नाग पंचमी के दिन घर पर मोर पंख लाकर रखे और प्रतिदन भगवान श्रीहरि की उपासना करें।

6. नाग पंचमी पर घर या मंदिर में बैठकर नाग गायत्री मंत्र – ओम नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नो सर्पः प्रचोदयात् का कम से कम 108 बार जाप करें। इसके बाद उनसे अपनी भूल की क्षमा याचना करें। इससे भी काल सर्प दोष का असर काफी कम हो जाता है।

7. नागपंचमी पर सुबह स्नान आदि करने के बाद नवनाग स्त्रोत का पाठ करें। इसके बाद नागदेवता की पूजा करें।

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