वृष संक्रांति 14 मई को, इस दिन पानी में तिल डालकर स्नान करने से दूर हो सकती है बीमारियां और मिलती है लंबी उम्र

14 मई, शुक्रवार को सूर्य अपनी उच्च राशि से निकलकर वृष राशि में आ जाएगा। इस दिन वृष संक्रांति मनाई जाती है। संक्रांति पर्व पर स्नान, दान, व्रत और पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है।

Asianet News Hindi | Published : May 12, 2021 4:01 AM IST

उज्जैन. 14 मई, शुक्रवार को सूर्य अपनी उच्च राशि से निकलकर वृष राशि में आ जाएगा। इस दिन वृष संक्रांति मनाई जाती है। संक्रांति पर्व पर स्नान, दान, व्रत और पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्नान कर के सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। वृष संक्रांति पर पानी में तिल डालकर नहाने से बीमारियां दूर होती हैं और लंबी उम्र मिलती है।

क्या होती है संक्रांति?
- सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में जाने को संक्रांति कहा जाता है। 12 राशियां होने से सालभर में 12 संक्रांति पर्व मनाए जाते हैं। 
- यानी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार हर महीने के बीच में सूर्य राशि बदलता है। सूर्य के राशि बदलने से मौसम में भी बदलाव होने लगते हैं। 
- इसके साथ ही हर संक्रांति पर पूजा-पाठ, व्रत-उपवास और दान किया जाता है। वहीं धनु और मीन संक्रांति के कारण मलमास और खरमास शुरू हो जाते हैं। 

वृषभ सक्रांति का महत्व
- हिंदू कैलेंडर के अनुसार 14 या 15 मई को वृष संक्रांति पर्व मनाया जाता है। सूर्य की चाल के अनुसार इसकी तारीख बदलती रहती है। 
- इस दिन सूर्य अपनी उच्च राशि छोड़कर वृष में प्रवेश करता है। जो कि 12 में से दूसरे नंबर की राशि है। वृष संक्रांति ज्येष्ठ महीने में आती है। 
- इस महीने में ही सूर्य रोहिणी नक्षत्र में आता है और नौ दिन तक गर्मी बढ़ाता है। जिसे नवतपा भी कहा जाता है। 
- वृष संक्रांति में ही ग्रीष्म ऋतु अपने चरम पर रहती है। इसलिए इस दौरान अन्न और जल दान का विशेष महत्व है।
 

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