
उज्जैन. श्रावण मास की पूर्णिमा को श्रावणी पूर्णिमा या नारियल पूर्णिमा कहा जाता है। इस बार ये तिथि 11 अगस्त, गुरुवार को है। इस दिन रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2022) का पर्व भी मनाया जाता है, इसलिए इसका विशेष महत्व है। श्रावणी पूर्णिमा पर यदि कुछ विशेष काम किए जाएं तो बहुत जल्दी ही उसके शुभ फल मिलते हैं, ऐसी मान्यता है। आगे जानिए श्रावणी पूर्णिमा पर आप शुभ फल पाने के लिए क्या काम करें…
नहाते समय ये मंत्र बोलें
इस बार श्रावणी पूर्णिमा (11 अगस्त, गुरुवार) को बहुत ही शुभ योग जैसे सौभाग्य, आयुष्मान आदि बन रहे हैं। इन शुभ योगों में नदी में स्नान करें। इस दौरान सूर्य देव को जल चढ़ाएं और साथ ही पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें। अगर आस-पास कोई नदी न हो तो घर पर ही गंगा जल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। घर पर स्नान करते करते स्नान मंत्र जरूर बोलें-
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति।
नर्मदे सिन्धु कावेरी जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।
सूर्यदेव और अपने ईष्ट की करें पूजा
श्रावणी पूर्णिमा पर स्नान के बाद सूर्य देव की पूजा भी अति शुभ रहती है। पूजा करते समय सूर्यदेव को तांबे के लोटे से अर्घ्य अर्पित करें। साथ ही इन मंत्रों का जाप भी करें- ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ खगाय नम:, ऊँ भास्कराय नम:। इसके बाद अपने ईष्टदेव (कुलदेवी और कुलदेवता) को याद करके मंदिर में दीपक जलाएं।
शिवजी की पूजा भी करें
श्रावणी पूर्णिमा सावन मास का अंतिम दिन होता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस दिन शिवलिंग का अभिषेक गाय के दूध से करें और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करते हुए बिल्व पत्र, धतूरा, दूर्वा और आंकड़े के फूल आदि चीजें शिवजी को चढ़ाएं। अंत में दीपक जलाकर आरती करें।
सत्यनारायण भगवान की कथा करवाएं
पूर्णिमा तिथि भगवान विष्णु से भी संबंधित हैं। इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा करने की परंपरा है। ऐसा करने से भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ ही महालक्ष्मी का दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिश्रित दूध से अभिषेक करें। भगवान बाल गोपाल को माखन मिश्री का भोग लगाएं, उसमें तुलसी के पत्ते जरूर रखें।
पूर्णिमा पर पौधे लगाएं
श्रावणी पूर्णिमा तिथि पर पौधे लगाने की परंपरा भी है। ये काम यदि किसी मंदिर परिसर में किया जाए तो और भी शुभ रहता है। पौधा लगाने के बाद उसकी देखभाल भी करते रहें। जब तक ये पौधा बड़ा न हो जाए। ऐसा करने से देवी-देवताओं के साथ-साथ पितरों की कृपा भी हम पर बनी रहती है।
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