रक्षाबंधन पर A To Z : शुभ मुहूर्त, थाली में क्या रखें, मंत्र, राशि अनुसार राखी और गिफ्ट

इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा नहीं है, इसलिए पूरा दिन राधी बांधने के लिए शुभ रहेगा। श्रवण नक्षत्र में दिन की शुरुआत होगी, जो 8.30 तक रहेगा। इसके बाद धनिष्ठा नक्षत्र प्रारंभ हो जाएगा।

Asianet News Hindi | Published : Aug 14, 2019 1:48 PM IST / Updated: Aug 15 2019, 01:20 PM IST

उज्जैन. इस बार रक्षाबंधन 15 अगस्त को है। ज्योतिषियों के अनुसार, इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा नहीं है, इसलिए पूरा दिन राधी बांधने के लिए शुभ रहेगा। श्रवण नक्षत्र में दिन की शुरुआत होगी, जो 8.30 तक रहेगा। इसके बाद धनिष्ठा नक्षत्र प्रारंभ हो जाएगा। सुबह 11 बजे तक सौभाग्य और उसके बाद शोभन योग में रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा।

सूर्योदय के पहले समाप्त होगी भद्रा - उज्जैन की ज्योतिषविद् अर्चना सरमंडल के अनुसार, इस बार भद्रा सूर्योदय के पहले ही समाप्त हो जाएगी। श्रवण नक्षत्र, स्वामी चंद्र, योग सौभाग्य, करण वणिज, राशि मकर, स्वामी शनि इन सभी योग को मिलाकर पूरा दिन रक्षाबंधन के लिए शुभ है।

ब्राह्मण करेंगे उपाकर्म - उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. श्यामनारायण व्यास के अनुसार, सौभाग्य और शोभन योग के कारण ही यह पर्व खास संयोग लेकर आ रहा है। इस दिन यजुर्वेदीय ब्राह्मणों का उपाकर्म भी होगा। लव-कुश जयंती भी इसी दिन है। भद्रा नहीं होने से पूरा दिन रक्षाबंधन के लिए शुभ है।

19 साल बाद 15 अगस्त पर रक्षाबंधन

15 अगस्त 2019 गुरुवार को स्वतंत्रता दिवस पर रक्षाबंधन का पर्व भी मनाया जाएगा। इसके पूर्व स्वतंत्रता दिवस के साथ रक्षाबंधन का पर्व सन 2000 में यानी 19 वर्ष पूर्व मनाया गया था। गुरुवार को पूर्णिमा तिथि व श्रवण नक्षत्र के मिलने से सिद्धि योग बन रहा है। इस दिन पूर्णिमा शाम 4:20 बजे तक रहेगी। रक्षा सूत्र बांधने का सबसे शुभ मुहूर्त सुबह 06.07 से 07.49 तक रहेगा। दोपहर 12.55 से 02.37 तक लाभ का मुहूर्त रहेगा। इसके बाद शाम 04.19 मिनट तक अमृत का मुहूर्त रहेगा।

राखी बांधे तो ये 7 चीजें थाली में जरूर रखें

1. कुमकुम - किसी भी शुभ काम की शुरुआत कुमकुम का तिलक लगाकर की जाती है। तिलक मान-सम्मान का भी प्रतीक है। बहन तिलक लगाकर भाई के प्रति सम्मान प्रकट करती है। साथ ही, अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर बहन उनकी लंबी उम्र की कामना भी करती है। 

2. चावल - तिलक के ऊपर चावल भी लगाए जाते हैं। चावल को अक्षत कहा जाता है। इसका अर्थ है अक्षत यानी जो अधूरा न हो। तिलक के ऊपर चावल लगाने का भाव यह है कि भाई के जीवन पर तिलक का शुभ असर हमेशा बना रहे। चावल शुक्र ग्रह से भी संबंधित है। शुक्र ग्रह के प्रभाव से ही जीवन में भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है।

3. नारियल - बहन अपने भाई को तिलक लगाने के बाद हाथ में नारियल देती है। नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है। श्री यानी देवी लक्ष्मी का फल। यह सुख-समृद्धि का प्रतीक है। बहन भाई को नारियल देकर यह कामना करती है कि भाई के जीवन में सुख और समृद्धि हमेशा बनी रहे और वह लगातार उन्नति करता रहे।

4. रक्षा सूत्र (राखी) - रक्षा सूत्र बांधने से त्रिदोष शांत होते हैं। त्रिदोष यानी वात, पित्त और कफ। रक्षा सूत्र कलाई पर बांधने से शरीर में इन तीनों का संतुलन बना रहता है। ये धागा बांधने से कलाई की नसों पर दबाव बनता है, जिससे ये तीनों दोष निंयत्रित रहते हैं। रक्षा सूत्र का अर्थ है, वह सूत्र (धागा) जो हमारे शरीर की रक्षा करता है। दरअसल, राखी बांधने का एक मनोवैज्ञानिक पक्ष भी है। बहन राखी बांधकर अपने भाई से उम्र भर रक्षा करने का वचन लेती हैं। भाई को भी ये रक्षा सूत्र इस बात का अहसास करवाता रहता है कि उसे हमेशा बहन की रक्षा करनी है।

5. मिठाई - राखी बांधने के बाद बहन अपने भाई को मिठाई खिलाकर उसका मुंह मीठा करती है। यह इस बात का प्रतीक है कि बहन और भाई के रिश्ते में कभी कड़वाहट न आए

6. दीपक - राखी बांधने के बाद बहन दीपक जलाकर भाई की आरती भी उतारती है। मान्यता है कि आरती उतारने से सभी प्रकार की बुरी नजरों से भाई की रक्षा हो जाती है।

7. पानी से भरा कलश - राखी की थाली में जल से भरा हुआ एक कलश भी रखा जाता है। इसी जल को कुमकुम में मिलाकर तिलक लगाया जाता है। हर शुभ काम की शुरुआत में जल से भरा कलश रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसी कलश में सभी पवित्र तीर्थों और देवी-देवताओं का वास होता है। इस कलश की प्रभाव से भाई और बहन के जीवन में सुख और स्नेह हमेशा बना रहता है।

भाई को राखी बांधते समय बहनें जरूर बोलें ये 1 मंत्र

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, राखी बांधते समय अगर बहनें नीचे लिखा मंत्र बोलें तो इससे भाई पर कोई संकट नहीं आएगा और उसके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहेगी।

मंत्र
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः
तेन त्वां प्रतिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल

अर्थ- जिस रक्षा सूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी सूत्र मैं तुम्हें बांधती हूं, जो तुम्हारी रक्षा करेगा।

राशि अनुसार दें बहन को गिफ्ट

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्‌ट के अनुसार जानिए रक्षाबंधन पर बहन की राशि अनुसार क्या उपहार दिया जा सकता है...

मेष- इस राशि वालों पर मंगल ग्रह का विशेष प्रभाव रहता है। इसलिए भाई मेष राशि वाली बहन को जिंक धातु की बनी वस्तुएं जैसे कोई शोपीस गिफ्ट के रूप में दे सकते हैं। लाल रंग की वस्तुएं, लाल रंग की ड्रेस, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं भी उपहार में दी जा सकती हैं।

वृषभ- जिन लोगों की बहन की राशि वृषभ है, वे अपनी बहन को परफ्यूम, रेशमी कपड़े या संगमरमर की कोई भी मूर्ति उपहार में दे सकते हैं। ये चीजें शुक्र ग्रह से संबंधित हैं और इस राशि का स्वामी शुक्र ही है।

मिथुन- इस राशि का स्वामी बुध है। इसलिए इस राशि की बहन को पेन सेट, खेल सामग्री, हरे रंग की वस्तु जैसे कोई फोटो जिसमें हरियाली दिख रही हो, उपहार में दे सकते हैं।

कर्क- इस राशि के लोगों पर चन्द्रमा का विशेष प्रभाव रहता है। इसलिए इस राशि की बहन को चांदी से बनी चीजें, मोतियों की माला, सफेद वस्तुएं, वाहन, सीप से बनी चीजें उपहार में दी जा सकती हैं।

सिंह- अगर आपकी बहन की राशि सिंह है तो उसे सोने के आभूषण, माणिक, तांबे की वस्तु, लकड़ी की चीजें या सुनहरे रंग की वस्तु उपहार में दे सकते हैं।

कन्या- इस राशि का स्वामी बुध है। इसलिए जिन लोगों की बहन की राशि कन्या है, वे कांसे की धातु से बनी मूर्ति, हरी ड्रेस, पन्ने की अंगूठी, गणेशजी की मूर्ति या फोटो, पुस्तक या पेन उपहार में दे सकते हैं।

तुला- इस राशि के लोग शुक्र ग्रह से प्रभावित होते हैं। इसलिए इस राशि की बहन को कपड़े, आभूषण, कार, परफ्यूम, आदि उपहार में दिए जा सकते हैं।

वृश्चिक- इस राशि का स्वामी मंगल है। इसलिए जिन लोगों की बहन की राशि वृश्चिक है, वे लाल रंग की मिठाई, मूंगे (रत्न) से बने आभूषण, अंगूठी व तांबे की वस्तुएं उपहार में दे सकते हैं।

धनु- इस राशि के लोग बृहस्पति से प्रभावित होते हैं। इसलिए इस राशि की बहन को किताबें, सोने के आभूषण, वस्त्र आदि उपहार में दिए जा सकते हैं।

मकर- इस राशि के लोग शनि से अत्यधिक प्रभावित होते हैं। मकर राशि की बहन को आप मोबाइल, लेपटॉप आदि, कोई वाहन उपहार में दे सकते हैं। ये चीजें शनि से संबंधित हैं।

कुंभ- इस राशि का स्वामी भी शनि ही है। यदि आपकी बहन की राशि कुंभ है तो उसे सैंडिल, ब्रेसलेट, पत्थर से बने शोपीस या नीलम के आभूषण, अंगूठी आदि उपहार में दे सकते हैं।

मीन- इस राशि का स्वामी गुरु है। जिन लोगों की बहन की राशि मीन है, वे सोने के आभूषण, पीली मिठाई, पीले वस्त्र, फिश एक्वेरियम आदि उपहार में दे सकते हैं। ये चीजें गुरु ग्रह से संबंधित हैं।

राशि अनुसार जानें भाई के लिए किस रंग की राखी होगी शुभ

मेष - यदि आपके भाई की राशि मेष है तो इसका स्वामी मंगल है। ऐसे लोगों को लाल रंग की राखी बांधना शुभ माना जाता है। इससे उनके जीवन में भरपूर ऊर्जा बनी रहती है।

वृष - इस राशि के लोगों का स्वामी शुक्र है। बहन अपने भाई को नीले रंग की राखी पहनाएं तो उसके लिए शुभ होगा। इससे उन्हें बेहतर परिणाम भी मिलेंगे।

मिथुन - इस राशि के स्वामी बुध है। ऐसे में आप चाहे तो अपने भाई को हरे रंग की राखी बांध सकते हैं। इससे सुख,समृद्धि और दीर्घायु होते हैं।

कर्क - इस राशि के स्वामी चंद्रमा है। ऐसे लोगों के लिए पीले या फिर सफेद रंग की राखी सही होगी। इस रंग से आपके जीवन में भरपूर खुशहाली आएगी।

सिंह - इस राशि के स्वामी सूर्य है। ऐसे लोग अपने भाई के लिए पीले-लाल रंग की राखी खरीदें। उनके लिए सही होगा।

कन्या - इस राशि के स्वामी बुध होते हैं। भाई को अपने बहन से हरे रंग की राखी बंधवानी चाहिए। इससे सभी प्रकार के ग्रह दोष दूर हो जाते हैं। भाई-बहन के बीच प्रेम बना रहता है।

तुला - इस राशि के लोग के लिए नीला या फिर सफेद रंग की राखी बांधना शुभ होगा। इस राशि के स्वामी शुक्र है।

वृश्चिक - वहीं इस राशि के भाई को अपने बहन से गुलाबी रंग की राखी बंधवानी चाहिए। उनके कुंडली के सभी दो। दूर हो जाते हैं।

धनु - इस राशि के लोगों के स्वामी बृहस्पति है। ऐसे लोगों को सुनहरे पीले रंग की राखी बंधवानी चाहिए या फिर पीले रंग की राखी बांधनी चाहिए।

मकर- इस राशि के स्वामी शनिदेव है। इन्हें न्याय का देवता कहा गया है। बहन अपने भाई को नीले रंग की राखी पहनाएं। इससे भाई-बहन का अटूट रिश्ता बना रहेगा।

कुंभ- इस राशि के स्वामी भी शनि माने जाते हैं। ऐसे में रक्षाबंधन पर गहरे हरे रंग का रूद्राक्ष का माला पहनना चाहिए। बहनों को अपने भाई के लिए राखी खरीदते वक्त इस बात का ध्यान रखना चाहिए।

मीन- दरअसल इस राशि के लोगों को सुनहरा हरा रंग का राखी खरीदना चाहिए। इसे शुभ माना जाता है। ऐसे लोगों के लिए पीले रंग की राखी शुभ मानी जाती है।

रक्षाबंधन: कैसे शुरू हुआ ये पर्व, जानें इसकी पौराणिक कथाएं

एक बार देवता और दानवों में 12 वर्षों तक युद्ध हुआ, पर देवता विजयी नहीं हुए। तब इंद्र हार के भय से दु:खी होकर देवगुरु बृहस्पति के पास गए। गुरु बृहस्पति ने कहा कि युद्ध रोक देना चाहिए। तब उनकी बात सुनकर इंद्र की पत्नी महारानी शची ने कहा कि कल श्रावण शुक्ल पूर्णिमा है, मैं रक्षा सूत्र तैयार करूंगी। जिसके प्रभाव से इनकी रक्षा होगी और यह विजयी होंगे। इंद्राणी द्वारा व्रत कर तैयार किए गए रक्षा सूत्र को इंद्र ने मंत्रों के साथ ब्राह्मण से बंधवाया। इस रक्षा सूत्र के प्रभाव से इंद्र के साथ समस्त देवताओं की दानवों पर विजय हुई।

देवी लक्ष्मी ने बांधी थी राज बलि को राखी

जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया तो राजा बलि से तीन पग जमीन मांगी। भगवान वामन ने एक पग में स्वर्ग और दूसरे पग में पृथ्वी को नाप लिया। तीसरा पैर कहां रखे, इस बात को लेकर बलि के सामने संकट उत्पन्न हो गया। अगर वह अपना वचन नहीं निभाता तो अधर्म होता। आखिरकार उसने अपना सिर भगवान के सामने कर दिया और कहा तीसरा पग आप मेरे सिर पर रख दीजिए। वामन भगवान ने वैसा ही किया। 
पैर रखते ही बलि सुतल लोक में पहुंच गया। बलि की उदारता से भगवान प्रसन्न हुए। उन्होंने उसे सुतल लोक का राज्य प्रदान किया। बलि ने वर मांगा कि भगवान विष्णु उसके द्वारपाल बनें। तब भगवान को उसे यह वर भी प्रदान करना पड़ा। पर इससे लक्ष्मीजी संकट में आ गईं। वे चिंता में पड़ गईं कि अगर स्वामी सुतल लोक में द्वारपाल बन कर रहेंगे तब बैकुंठ लोक का क्या होगा? 

तब देवर्षि नारद ने उपाय बताया कि बलि की कलाई पर रक्षासूत्र बांध दो और उसे अपना भाई बना लो। लक्ष्मीजी ने ऐसा ही किया। उन्होंने बलि की कलाई पर राखी (रक्षासूत्र) बांधी। बलि ने लक्ष्मीजी से वर मांगने को कहा। तब उन्होंने विष्णु को मांग लिया। रक्षासूत्र से देवी लक्ष्मी को अपने स्वामी पुन: मिल गए।

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