Sawan: कुंडली के अशुभ योग कर रहे हैं परेशान तो 22 अगस्त से पहले करें रुद्राक्ष के ये आसान उपाय

रुद्राक्ष (Rudraksha) का उपयोग मंत्र जाप में किया जाता है, साथ ही इसकी माला गले में धारण की जाती है। ऐसा करने से कई समस्याओं का अंत हो जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जन्म कुंडली के अशुभ योगों के प्रभाव को कम करने के लिए भी रुद्राक्ष (Rudraksha) की माला धारण करनी चाहिए।

Asianet News Hindi | Published : Aug 18, 2021 5:34 AM IST / Updated: Aug 18 2021, 12:46 PM IST

उज्जैन. रुद्राक्ष (Rudraksha) को हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र माना जाता है क्योंकि ये भगवान शिव के स्वरूप से जुड़ा है। रुद्राक्ष (Rudraksha) का उपयोग मंत्र जाप में किया जाता है, साथ ही इसकी माला गले में धारण की जाती है। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से कई समस्याओं का अंत हो जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जन्म कुंडली के अशुभ योगों के प्रभाव को कम करने के लिए भी रुद्राक्ष (Rudraksha) की माला धारण करनी चाहिए। ये काम अगर सावन (Sawan 2021) मास (22 अगस्त तक) में किया जाए तो और भी शुभ रहता है। कौन-सा अशुभ योग होने पर कितने मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए, इसकी जानकारी इस प्रकार है…

1. कालसर्प दोष
जन्मकुंडली में जब सारे ग्रह राहु और केतु के बीच में होते हैं तो ये अशुभ योग बनता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में ये दोष होता है उसे जीवन में कई बार धन हानि का सामना करना पड़ता है। इस दोष की शांति के लिए 8 व 9 मुखी रुद्राक्ष धारण करना लाभप्रद रहता है।

2. अंगारक योग
मंगल और राहु कुंडली के किसी भी घर में साथ हो, तो अंगारक योग बनता है। इस योग के कारण व्यक्ति का स्वभाव आक्रामक, हिंसक तथा नकारात्मक हो जाता है। इसकी शांति के लिए 3 मुखी रुद्राक्ष धारण करना फायदेमंद रहता है।

3. चांडाल दोष
कुंडली के किसी भी भाव में गुरु के साथ राहु बैठा है तो इसे गुरु चांडाल योग कहते हैं। इस योग का बुरा असर शिक्षा, धन और चरित्र पर होता है। व्यक्ति बड़े-बुजुर्गों का निरादर करता है और उसे पेट एवं श्वास के रोग हो सकते हैं। इस दोष की शांति के लिए 5 व 10 मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए।

4. मांगलिक योग
मांगलिक दोष की शांति के लिए 11 मुखी रुद्राक्ष धारण करना लाभप्रद रहता है। इससे कई परेशानियां अपने आप ही दूर हो जाती हैं।

5. ग्रहण योग
राहु-केतु और चंद्रमा के कारण ये दोष कुंडली में बनता है। इसकी शांति के लिए 2 या 8 मुखी रुद्राक्ष गले में धारण करना चाहिए। ये आपको हर संकट से बचा सकता है।

6. केमद्रुम योग
ये अशुभ योग चंद्रमा के कारण ही बनता है। ये योग जिसकी कुंडली में होता है, उसे अपने जीवन में लगातार परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसकी शांति के लिए 13 मुखी रुद्राक्ष चांदी में धारण करना लाभप्रद रहता है।

7. शकट योग
शकट योग कुण्डली में तब बनता है जब सभी ग्रह प्रथम और सप्तम भाव में उपस्थित हों। इसके अलावा गुरू और चन्द्रमा की स्थिति के अनुसार भी यह योग बनता है। चन्द्रमा से गुरू जब षष्टम या अष्टम भाव में होता है और लग्न केन्द्र से गुरू बाहर रहता है तब जन्मपत्री में यह अशुभ योग बनता है। इसकी शांति के लिए 10 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

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