देव प्रबोधनी एकादशी पर तुलसी का विवाह शालिग्राम से कराने की परंपरा है। हिन्दी पंचांग के अनुसार इस बार ये तिथि 8 नवंबर, शुक्रवार को है। शालिग्राम नेपाल की गंडकी नदी के तल में मिलते हैं।
उज्जैन. शालिग्राम काले रंग के चिकने, अंडाकार होते हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार अगर शालिग्राम घर में रखना चाहते हैं तो इसकी प्राण-प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती है। इन पत्थरों को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है।
1. शालिग्राम अलग-अलग रूपों में मिलते हैं। कुछ अंडाकार होते हैं तो कुछ में एक छेद होता है। इन पत्थरों के अंदर शंख, चक्र, गदा या पद्म के निशान होते हैं।
2. शालिग्राम की पूजन तुलसी के बिना पूर्ण नहीं मानी जाती है।
3. तुलसी और शालिग्राम विवाह करवाने से वही पुण्य फल प्राप्त होता है जो कन्यादान करने से मिलता है।
4. पूजा में शालिग्राम को स्नान कराना चाहिए। चंदन लगाकर तुलसी दल चढ़ाना चाहिए।
5. मान्यता है कि घर में भगवान शालिग्राम हो, वह तीर्थ के समान माना जाता है।
6. जिस घर में शालिग्राम का रोज पूजन होता है, वहां वास्तु दोष और अन्य बाधाएं समाप्त हो जाती हैं।
7. शालिग्राम को तुलसी के पास भी रखा जा सकता है। रोज सुबह तुलसी के साथ शालिग्राम को भी जल चढ़ाना चाहिए। सूर्यास्त के बाद इनके पास दीपक जलाना चाहिए।