Devuthani Ekadashi 2022: देवउठनी एकादशी पर करें तुलसी पूजा, जानें आरती व मंत्र

Devuthani Ekadashi 2022: इस बार 4 नवंबर, शुक्रवार को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है। इसे देवउठनी एकादशी कहते हैं। मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु नींद से जागते हैं। इस तिथि पर तुलसी की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है।
 

Manish Meharele | Published : Nov 4, 2022 3:14 AM IST

उज्जैन. हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में कुल 24 एकादशी आती है। इनमें से कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी (Devuthani Ekadashi 2022) और देवप्रबोधिनी एकादशी (Devprabodhini Ekadashi 2022) कहते हैं। प्रबोधन का अर्थ होता है जागना। इस बार ये एकादशी 4 नवंबर, शुक्रवार को है। मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु 4 महीने की योगनिंद्रा के बाद जागते हैं। देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह की परंपरा भी है। इस दिन तुलसी के मंत्रों का जाप किया जाए या आरती की जाए तो भी जीवन की हर परेशानी दूर हो सकती है। आगे जानिए तुलसी पूजा पूजा के मंत्र और आरती…


तुलसी की आरती (Tulsi Aarti)
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता।।
मैय्या जय तुलसी माता।।
सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर।
रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या।
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित।
पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में।
मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी।
प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता।
हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता॥
मैय्या जय तुलसी माता।।

तुलसी नामाष्टक (Tulsi Namashtak)
वृंदा,वृन्दावनी,विश्वपुजिता,विश्वपावनी ।
पुष्पसारा,नंदिनी च तुलसी,कृष्णजीवनी ।।
नाम अष्टकं चैव स्त्रोत्र नामार्थ संयुतम।
य:पठेत तां सम्पूज्य सोभवमेघ फलं लभेत ।।

तुलसी स्तुति मंत्र (Tulsi Stuti Mantra)
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

तुलसी मंत्र  (Tulsi Mantra)
महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते..


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