वास्तु शास्त्र में सूर्य को बहुत की खास माना गया है। क्योंकि ऊर्जा का सबसे बड़ा केंद्र सूर्य ही है। वास्तुशास्त्र के सिद्धांत सूर्य को ही ध्यान में रखकर बनाए गए हैं।
उज्जैन. ज्योतिषाचार्य और वास्तु विशेषज्ञ पं. गणेश मिश्र के अनुसार, दस दिशाओं के देवताओं में सूर्य भी खास हैं, जो कि पूर्व दिशा के स्वामी हैं। सुबह से शाम तक सूर्य की रोशनी जिस घर में आती है। ऐसे घर में रहने वाले लोग सुखी रहते हैं। जिस मकान का मेन गेट ठीक पूर्व दिशा में होता है उस घर में समृद्धि और पैसा बढ़ता ही रहता है। जिस घर के किचन में सूर्योदय के वक्त सूर्य किरणें आती हैं वहां रहने वाले लोगों की सेहत अच्छी रहती है।
घर का पूर्वी हिस्सा खुला हो
वास्तु विद्वानों का कहना है कि किसी भी घर का पूर्व दिशा वाला हिस्सा खुला होना चाहिए। उस हिस्से में आंगन, खिड़कियां, झरोखे और दरवाजे होने चाहिए। पूर्व दिशा वाले हिस्से में पेड़-पौधे नहीं लगाने चाहिए। इस दिशा में कोई बड़ा निर्माण भी नहीं करवाना चाहिए। जिससे सुबह-सुबह सूर्य की सकारात्मक रोशनी और ऊर्जा घर में बिना रुकावट के आ सके।
कृत्रिम रोशनी हो सकती है नुकसानदेह
वास्तु के मुताबिक कोशिश करनी चाहिए कि घर में कुदरती रोशनी का उपयोग ज्यादा से ज्यादा हो और कृत्रिम रोशनी कम होनी चाहिए। सूर्य की रोशनी कई तरह से फायदेमंद होती है। इसके अलावा बेडरुम में भी तेज कृत्रिम रोशनी के प्रयोग से बचना चाहिए। कोशिश करें कि शयनकक्ष में धीमी रोशनी ही रहे इससे सोने में अच्छा लगता है। बेडरुम में दिनभर कुदरती रोशनी होने से रात में बुरे विचार नहीं आते और तनाव भी नहीं होता।
सेहत पर असर
सूर्य की रोशनी सेहत के लिए खासतौर से फायदेमंद होती है। रोजाना सूर्य की रोशनी पड़ने से परिवार के सदस्यों की सेहत बनी रहती है और लोग निरोगी रहते हैं। सूरज की रोशनी तन-मन को हमेशा स्वस्थ रखती है। इससे सकारात्मकता और आत्मविश्वास बढ़ता है। कहते हैं जिस घर पर सूरज की रोशनी नहीं पहुंच पाती है वहां पर लोगों के बीमार रहने की अधिक संभावनाएं होती हैं।
माना जाता है कि घर में जिस जगह सूरज की रोशनी कम पड़ती है या गर्माहट नहीं होती वहां सीलन अधिक आने की संभावना होती है। इसके अलावा सूरज की रोशनी न आने से कीड़े-मकोड़े बढ़ने की आशंका भी ज्यादा होती है।