
उज्जैन. 4 फरवरी, शुक्रवार को इस बार विनायकी चतुर्थी का व्रत किया जाएगा। इस दिन सुबह 07:08 से दोपहर 03:58 तक रवि योग है और इसके बाद शाम 07:10 तक शिव योग है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने और गणेश जी की जन्मकथा सुनने से सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं। इसके साथ ही आपके समस्त कार्य पूर्ण होते हैं। इस दिन भगवान श्रीगणेश के विनायक रूप की पूजा की जाती है। आगे जानिए इस दिन के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि…
चतुर्थी के पूजा मुहूर्त
चतुर्थी तिथि का आरंभ: 04 फरवरी, शुक्रवार, प्रात: 04: 38 मिनट से
चतुर्थी तिथि का समाप्त: 05 फरवरी, शनिवार, प्रात: 03: 47 मिनट तक
शुभ मुहूर्त: 04 फरवरी, शुक्रवार, प्रातः11: 30 मिनट से दोपहर 01: 41 मिनट तक
कुल अवधि: 02 घंटा 11 मिनट
ये है पूजा विधि
- विनायकी चतुर्थी की सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और इस दिन पीले या लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है।
- इस दिन सबसे पहले पूजा स्थल की अच्छाई तरह से सफाई कर लें। इसके बाद लाल रंग के आसन पर गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करें।
- उनके सामने घी का दीप प्रजवलित करें और सिंदूर से तिलक करें। इसके बाद गणेश जी को फल-फूल और तिल के पकवानों का भोग लगाएं।
- पूजा में गणेश जी को 21 दूर्वा गांठे विभिन्न नामों से उच्चारित करके अर्पित करें।
- विनायकी चतुर्थी का व्रत शाम को चंद्रदेव को अर्घ्य देते हुए पूरा करें। इस दिन सामर्थ्य अनुसार दान करने का विशेष महत्व होता है.
- मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से गणेशजी की पूजा करने से आपके सभी संकट दूर हो जाते है, इसलिए इसे विनायकी चतुर्थी कहा जाता है।
ये उपाय भी करें
विनायकी चतुर्थी पर तिल से बने पकवानों जैसे लड्डू, गजक, रेवड़ी आदि चीजों का दान गरीबों को करना चाहिए। इससे सभी तरह के शुभ फल हमें प्राप्त होते हैं। ये व्रत महिलाओं के साथ-साथ पुरुष भी कर सकते हैं। ये सभी के लिए सौभाग्यदायक है।