Narasimha Jayanti Ke Upay: ये हैं नृसिंह जयंती के 5 अचूक उपाय, जो दूर कर सकते हैं आपकी हर परेशानी

आज (14 मई, शनिवार) वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी (Narasimha Jayanti 2022) तिथि है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इसी तिथि पर भगवान विष्णु ने नृसिंह रूप में अवतार लेकर हिरण्यकशिपु का वध किया था।

उज्जैन. भगवान श्री नृसिंह शक्ति तथा पराक्रम के देवता माने जाते हैं। नृसिंह भगवान विष्णु के चौथे अवतार माने जाते हैं। इनका स्वभाव बहुत ही उग्र माना जाता है। इस दिन प्रमुख नृसिंह मंदिरों में विशेष साज-सज्जा और अनुष्ठान किए जाते हैं। साथ ही भक्तों की भीड़ भी इस मंदिरों में उमड़ती है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्ट के अनुसार, दुश्मनों के भय से बचने के लिए इस दिन भगवान नृसिंह की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन कुछ विशेष उपाय भी करने चाहिए। इससे जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। आगे जानिए इन उपायों के बारे में…

1. 14 मई की सुबह स्नान आदि करने के बाद किसी साफ स्थान पर भगवान नृसिंह के साथ देवी लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें और गाय के दूध से अभिषेक करें। अभिषेक करते समय लक्ष्मी-नृसिंह मंत्रों का जाप भी करते रहें। इससे धन लाभ के योग बन सकते हैं। ये है लक्ष्मी नृसिंह मंत्र- ऊं श्री लक्ष्मी नृसिंहाय।
2. अगर आप अचल संपत्ति पाना चाहते हैं तो 14 मई को भगवान नृसिंह को नागकेसर चढ़ाएं। ये एक तरह की वनस्पति है जो तंत्र-मंत्र के काम आती है। भगवान नृसिंह को अर्पित करने के बाद इसे अपनी तिजोरी या उस स्थान पर रखें जहां आप धन रखते हैं। इससे अचल संपत्ति बढ़ने के योग बन सकते हैं।
3. अगर आप कालसर्प दोष से पीड़ित हैं तो आपके जीवन में इस वजह से परेशानियां बनी हुई है तो किसी नृसिंह मंदिर में जाकर एक मोरपंख चढ़ा दें और भगवान से परेशानियां कम करने के लिए प्रार्थना करें। इससे आपको राहत मिल सकती है। 
4. अगर लंबे समय आप किसी बीमारी से परेशान हैं तो भगवान नृसिंह को चंदन का लेप चढ़ाएं। पीले वस्त्र और पीले फल जैसे केला, आम आदि चढ़ाएं। इससे जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
5. नृसिंह चतुर्दशी पर कुछ खास मंत्रों का जाप करने से भी भगवान नृसिंह प्रसन्न होते हैं। ये मंत्र इस प्रकार हैं-
- ॐ श्री लक्ष्मी-नृसिंहाय
- ॐ क्ष्रौं महा-नृसिंहाय नम:
- ॐ क्ष्रौं नमो भगवते नरसिंहाय''
- ॐ उग्र नृसिंहाय विद्महे, वज्र-नखाय धीमहि। तन्नो नृसिंह: प्रचोदयात्।
- ॐ वज्र-नखाय विद्महे, तीक्ष्ण-द्रंष्टाय धीमहि। तन्नो नारसिंह: प्रचोदयात्।।

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