माता शाकंभरी की हैं हजारों आंखें, जब पृथ्वी पर पड़ा अकाल तब देवी ने लिया था ये अवतार

दुष्टों के नाश और अपने भक्तों की रक्षा के लिए देवी ने अनेक रूपों में अवतार लिए। देवी का ऐसा ही एक अनोखा अवतार है शाकंभरी।

Asianet News Hindi | Published : Oct 5, 2019 4:46 AM IST

उज्जैन. यह अवतार देवी ने तब लिया जब पूरी पृथ्वी पर अकाल पड़ा था। न खाने के लिए भोजन था और न ही पीने के लिए पानी। 

इसलिए माता को कहते हैं शाकंभरी
- दानवों के उत्पात से त्रस्त भक्तों ने जब कई वर्षों तक सूखा एवं अकाल से ग्रस्त होकर देवी से प्रार्थना की तब देवी ऐसे अवतार में प्रकट हुई, जिनकी हजारों आखें थी। 
- अपने भक्तों को इस हाल में देखकर देवी की इन हजारों आंखों से नौ दिनों तक लगातार आंसुओं की बारिश हुई, जिससे पूरी पृथ्वी पर हरियाली छा गई तथा जीवन रस से परिपूर्ण हो गया।
- यही देवी शताक्षी के नाम से भी प्रसिद्ध हुई एवं इन्ही देवी ने कृपा करके अपने अंगों से कई प्रकार की शाक, फल एवं वनस्पतियों को प्रकट किया। इसलिए उनका नाम शाकंभरी प्रसिद्ध हुआ। 
- पौष मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शाकंभरी नवरात्रि का आरंभ होता है, जो पौष पूर्णिमा पर समाप्त होता है। इस दिन शाकंभरी जयंती का पर्व मनाया जाता है।
- मान्यता के अनुसार, इस दिन असहायों को अन्न, शाक(कच्ची सब्जी), फल व जल का दान करने से अत्यधिक पुण्य की प्राप्ति होती हैं व देवी दुर्गा प्रसन्न होती हैं।
 

Share this article
click me!