शरद पूर्णिमा पर खीर खाने का महत्व क्यों है? इस दिन करना चाहिए देवी लक्ष्मी की पूजा

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस पूर्णिमा पर महालक्ष्मी की आराधना कर व्रत भी किया जाता है।

Asianet News Hindi | Published : Oct 9, 2019 3:15 AM IST

उज्जैन. इस बार यह व्रत 13 अक्टूबर को है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, जो मनुष्य शरद पूर्णिमा का व्रत विधि-विधान तथा पूर्ण श्रद्धा से करता है उस पर माता लक्ष्मी की कृपा होती है और उम्र भी लंबी होती है।

इस विधि से करें शरद पूर्णिमा का व्रत...
- शरद पूर्णिमा की सुबह स्नान आदि करने के बाद अपने आराध्य देव की पूजा करें। अगर स्वयं न कर पाएं तो किसी योग्य ब्राह्मण से पूजा करवाएं।
- आधी रात के समय गाय के दूध से बनी खीर का भोग भगवान को लगाएं। खीर से भरे बर्तन को रात में खुली चांदनी में रखना चाहिए।
- इसमें रात के समय चंद्रमा की किरणों के द्वारा अमृत गिरता है, ऐसी मान्यता है। पूर्ण चंद्रमा के मध्याकाश में स्थित होने पर उसका पूजन कर अर्घ्य प्रदान करना चाहिए।
- इस दिन कांसे के बर्तन में घी भरकर सोना सहित ब्राह्मण को दान देने से मनुष्य ओजस्वी होता है। ऐसा धर्म शास्त्रों में लिखा है।

इसलिए खाते हैं शरद पूर्णिमा की रात खीर...
- शरद पूर्णिमा की रात खीर खाने की परंपरा है। शरद पूर्णिमा की रात चांद अपनी पूरी सुंदरता बिखेरता है। इस रात चांद से निकलने वाली शीतल किरणें हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होती हैं।
- धार्मिक मान्यता है कि इस रात चांद से अमृत बरसता है। इस रात खुले आसमान के नीचे खीर बनाई जाती है। चांद से निकलने वाली किरणें सीधे खीर पर पड़ती है।
- चांद की किरणों के प्रभाव से खीर में औषधीय गुण शामिल हो जाते हैं। इस खीर को खाने से सांस संबंधी बीमारियों में राहत मिलती है।
- दमा रोगियों के लिए यह खीर अमृत समान ही होती है इसीलिए कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा बड़े पैमाने पर दमा रोगियों के लिए खीर बनाई जाती है।
 

Share this article
click me!