शनि जयंती हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। इसे शनि अमावस्या भी कहा जाता है। इस बार ये तिथि 22 मई, शुक्रवार को है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इसी दिन शनिदेव का जन्म हुआ था।
उज्जैन. शनि जयंती पर शनिदेव के निमित्त विधि-विधान से पूजा पाठ, व्रत व दान आदि किया जाता है। इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं। ये है पूजा की विधि-
1. सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद शनिदेव की लोहे की मूर्ति स्थापित करें और सरसों या तिल के तेल से उसका अभिषेक करें।
2. इसके बाद शनि मंत्र बोलते हुए शनिदेव की पूजा करें। शनि की कृपा एवं शांति प्राप्ति हेतु काले तिल, काली उड़द, लोहे का टुकड़ा या कील आदि चीजें चढ़ाएं।
3. ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम: मंत्र बोलते हुए शनिदेव से संबंधित वस्तुओं जैसे कंबल, जूते-चप्पल आदि का दान करें।
4. इस प्रकार पूजन के बाद दिन भर कुछ न खाएं और मंत्र का जप करते रहें। अगर पूर्ण व्रत रखना संभव न हो तो फलाहार कर सकते हैं।
5. शाम को फिर एक बार शनिदेव की पूजा करें और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
6. शनिदेव को उड़द और चावल की खिचड़ी का भोग लगाएं। उसी प्रसाद से अपना व्रत खोलें और शेष प्रसाद भक्तों में बांट दें। इस विधि से शनिदेव की पूजा करने से हर परेशानी दूर हो सकती है और बिगड़े काम बन सकते हैं।