जब ‘फ्लाइंग सिख’ ने उड़ा दिए थे पाकिस्तान के होश, एक्सपर्ट ने बताया उस रेस का रोमांच

जब ‘फ्लाइंग सिख’ ने उड़ा दिए थे पाकिस्तान के होश, एक्सपर्ट ने बताया उस रेस का रोमांच

Published : Jun 19, 2021, 01:57 PM ISTUpdated : Jun 19, 2021, 03:12 PM IST

वीडियो डेस्क। भारत के महान धावक फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर मिल्‍खा सिंह (Milkha Singh) ने का पीजीआई चंडीगढ़ में निधन हो गया। फ्लाइंग सिख के नाम से दुनिया भर मे मशहूर मिल्खा सिंह 19 मई को कोरोना संक्रमित मिले थे। बेशक उन्होंने दुनिया छोड़ दी हो, पर ये दुनिया उन्हें हमेशा याद करेगी। 200 मीटर और 400 मीटर की जमीन पर किए उनके कमाल के लिए पूरा भारत उन्हें हमेशा सलाम करेगा। मिल्खा सिंह की सबसे बड़ी कामयाबियों में से एक थी उन्हें फ्लाइंग सिख का टैग मिलना। वो तमगा जो उन्हें किसी हिंदुस्तानी या अंग्रेजों  ने नहीं बल्कि एक पाकिस्तानी ने दिया था
 

वीडियो डेस्क। भारत के महान धावक फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर मिल्‍खा सिंह (Milkha Singh) ने का पीजीआई चंडीगढ़ में निधन हो गया। फ्लाइंग सिख के नाम से दुनिया भर मे मशहूर मिल्खा सिंह 19 मई को कोरोना संक्रमित मिले थे। बेशक उन्होंने दुनिया छोड़ दी हो, पर ये दुनिया उन्हें हमेशा याद करेगी। 200 मीटर और 400 मीटर की जमीन पर किए उनके कमाल के लिए पूरा भारत उन्हें हमेशा सलाम करेगा। मिल्खा सिंह की सबसे बड़ी कामयाबियों में से एक थी उन्हें फ्लाइंग सिख का टैग मिलना। वो तमगा जो उन्हें किसी हिंदुस्तानी या अंग्रेजों  ने नहीं बल्कि एक पाकिस्तानी ने दिया था


क्या है  'फ्लाइंग सिख' कहानी 
मिल्‍खा सिंह  ने अपने करियर में कई खिताब जीते मिल्‍खा सिंह ने 1956, 1960 और 1964 ओलिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्‍व किया था। 1960 रोम ओलिंपिक का नाम आते ही मिल्‍खा सिंह की 400 मीटर की फाइनल रेस की यादें ताजा हो जाती है। मिल्खा सिंह को ‘फ्लाइंग सिख’ का तमगा इस रेस के चलते नहीं बल्कि पाकिस्तान की जमीन पर सबसे तेज दौड़ने के लिए मिला था। साल था 1960. मिल्खा सिंह को पाकिस्तान की ओर से इंटरनेशनल कम्पीटिशन का न्योता मिला। बंटवारे के दर्द के चलते मिल्खा पाकिस्तान जाना नहीं चाहते थे पर वो तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू की बात नहीं उठा सके। PM नेहरू ने मनाया तो मिल्खा पाकिस्तान जाने के लिए तैयार हो गए। पाकिस्तान चाहता था कि अब्दुल खालिक अपने लोगों के बीच मिल्खा सिंह को हराएं। मिल्खा थे जो ये सोचकर पाकिस्तान पहुंचे थे कि हिंदुस्तान के मान को ठेस नहीं पहुंचने देंगे। दोनों के बीच रेस शुरू हुई, जिसमें मिल्खा सिंह ने अब्दुल खालिक को उसी के घर की जमीन पर, उसी के लोगों के बीच मात दे दी. मिल्खा ऐसे दौड़े कि खालिद टिक नहीं पाए। अब्दुल खालिक को हराने के बाद पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अयूब खान ने मिल्खा सिंह से मुलाकात की और कहा- ‘आज तुम दौड़े नहीं उड़े हो. इसलिए हम तुम्हें फ्लाइंग सिख का खिताब देते है। इसी रेस के बाद से मिल्खा सिंह को ‘द फ्लाइंग सिख’ कहा जाने लगा। 

04:26उत्तर और दक्षिण भारत... शतरंज को लेकर क्या है दोनों जगह पर अंतर, क्यों है बदलाव की जरूरत । Chess
02:14GI-PKL EXCL | 'सरकार कबड्डी के वैश्विक मान्यता के लिए प्रयास कर रही है': कृष्ण पाल गुर्जर
08:35GI-PKL EXCL| 'वैश्विक खेलों में द. एशियाई भागीदारी को बढ़ावा देने की आवश्यकता': विश्व कबड्डी अध्यक्ष
02:33GI-PKL 2025 EXCLUSIVE| Tamil Lioness रचना म्हात्रे ने शिव छत्रपति पुरस्कार के लिए खाई बड़ी कसम
03:10GI-PKL| 'माँ ने कभी मेरा मैच नहीं छोड़ा', 'टीम ने हार के बाद भी वापसी की': Tamil Lioness सुमन गुर्जर
03:47GI-PKL 2025 EXCLUSIVE| रेडर पूजा हथवाला हैं Marathi Falcons की कप्तान सरिता सांगवान की प्रेरणा
03:48GI-PKL 2025 EXCLUSIVE| Tamil Lioness प्रियंका भार्गव कबड्डी करियर पर- 'पदक ने पिता को राजी किया'
04:43GI-PKL 2025 EXCLUSIVE| 'मानसिकता हर चीज से ऊपर'- Tamil Lions की रितिका दलाल
06:16GI-PKL 2025 EXCL | 'खेल अनुशासन पर आधारित है': Tamil Lioness Vasantha का सभी खिलाड़ियों को संदेश
02:23GI-PKL 2025 EXCLUSIVE | Tamil Lioness ममता नेहरा ने बताया- कैसे उनकी बहन ने कबड्डी के सपने को बचाया