40 साल बाद वीडियो कॉल पर मां से मिला बेटा

एक साल की उम्र में ही अपनी मां से अलग हो चुके शांता कुमार ने जो अब डेविड नील्सन के रूप में जाने जाते हैं और 41 साल के हैं, अपनी मां से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत की। इसमें उनकी मदद बेंगलुरु के दो चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट के अलावा डच फाउंडेशन अगेन्स्ट चाइल्ड ट्रैफिकिंग ने भी की। 

Asianet News Hindi | Published : Oct 18, 2019 6:09 AM IST / Updated: Oct 18 2019, 12:46 PM IST

हटके डेस्क। एक साल की उम्र में ही अपनी मां से अलग हो चुके शांता कुमार ने जो अब डेविड नील्सन के रूप में जाने जाते हैं और 41 साल के हैं, अपनी मां से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत की। इसमें उनकी मदद बेंगलुरु के दो चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट के अलावा डच फाउंडेशन अगेन्स्ट चाइल्ड ट्रैफिकिंग ने भी की। बता दें कि आज से 40 साल पहले डेनमार्क के एक कपल ने उन्हें गोद ले लिया था। डेविड नील्सन का एक भाई भी डेनमार्क में रहता है। डेविड नील्सन कोपेनहेगन में रहते हैं। 6 साल तक लगातार कोशिश करने के बाद उनकी अपनी मां धनलक्ष्मी से बात हो सकी जो अब 68 साल की हैं।

दो बार भारत आए डेविड
अपनी मां की तलाश कर उससे मिलने की उम्मीद में डेविड दो बार भारत आए। पहली बार वे साल 2013 में चेन्नई आए। उनका कहना था कि जैसे ही वे चेन्नई एयरपोर्ट पर उतरे, उन्हें महसूस हुआ कि वे अपने घर में आ गए हैं। चेन्नई में वह डेनमार्क के कुछ उन दोस्तों से मिले जो किसी काम के सिलसिले में वहां रह रहे थे। वहां उन्हें कोर्ट के रिकॉर्ड्स से वह एफिडेविट मिला, जिससे उन्हें अपने पिता और दो भाइयों के नामों की जानकारी मिली। उनके दो भाई भी विदेश में रहते हैं, जिन्हें बचपन में अडॉप्ट कर लिया गया था। 2017 में वह फिर भारत आए और चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट अरुण धोले और अंजली पवार से मिले। उन्होंने उनकी मदद करने का वादा किया। इसके बाद स्थानीय लोगों ने तमिल में एक डॉक्युमेंट्री बनाई, जिसमें उन्हें भी शामिल किया गया था। यह डॉक्युमेंट्री उन लोगों के बारे में थी, जिन्हें बचपन में विदेशी लोगों ने अडॉप्ट कर लिया था और जो अब अपने माता-पिता से मिलना चाहते थे। 

ऑनएयर हुई डॉक्युमेंटरी तो लोग उनसे जुड़ने लगे
जब यह डॉक्युमेंट्री ऑनएयर हुई तो सोशल मीडिया पर उनसे जुड़ने के लिए लोगों के रिक्वेस्ट आने लगे। इस बीच, किसी ने अरुण और अंजली को उनके बचपन के फोटोग्राफ्स भेजे। जब वे फोटोग्राफ नील्सन की डेनिश मां को दिए गए तो उन्होंने उन तस्वीरों को डेविड की तब की तस्वीरों से मिला कर देखा, जब उन्होंने अनाथालय से उसे अडॉप्ट किया था। ये तस्वीरें एक जैसी थीं। इसके बाद नील्सन की रियल मां धनलक्ष्मी का भी पता चल गया। वह एक सफाईकर्मी के तौर पर काम करती हैं।  

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई बात
6 साल की तलाश के बाद नील्सन को अपनी मां का पता चल गया। जब कोपेनहेगन से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उनकी अपनी मां से बात हुई तो भावनाओं का ज्वार फूट पड़ा। उनकी मां धनलक्ष्मी तो इतनी भावुक हो गईं कि लगा कि वह बेहोश हो जाएंगी। बाद में धनलक्ष्मी ने दोबारा बात करने के कहा और बेटे से मिलने की इच्छा जाहिर की। नील्सन ने कहा कि वह बता नहीं सकते कि अपनी मां को पाकर कितने खुश हैं। उनकी डेनिश मां ने भी कहा कि भारत बहुत ही अच्छा देश है और यही वजह है कि जब वह वहां गईं तो उन्हें गोद लिया। 

आधे घंटे तक हुई बात
धनलक्ष्मी की अपने बेटे शांता कुमार (डेविड नील्सन) से आधे घंटे तक एक इंटरप्रेटर के जरिए बात हुई। इसमें चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट्स अरुण धोवले, अंजली पवार और डच फाउंडेशन अगेन्स्ट चाइल्ड ट्रैफिकिंग ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। धनलक्ष्मी का कहना है कि वह अपने बेटे से फिर बात करेगी। नील्सन की डेनिश मां अपने गांव में रहती हैं और पोस्ट ऑफिस में काम करती हैं। उनके पिता की 2005 में डेथ हो गई, जो एक फैक्ट्री में काम करते थे। नील्सन शादीशुदा हैं और उनके दो बच्चे हैं। 
 

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