सुबह काम कर कमाती है पैसे, रात को रखती है 100 कुत्तों का ध्यान

आज जब ज्यादातर लोग अपने करीबी रिश्तेदारों और फैमिली मेंबर्स  का भी ध्यान नहीं रखते, वहीं ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो बेजुबान जानवरों तक के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Sep 28, 2019 4:14 AM IST / Updated: Sep 28 2019, 09:50 AM IST

पेनांग, मलेशिया। आज के समय में जब ज्यादातर लोग अपने करीबी और फैमिली मेंबर्स तक का ध्यान नहीं रखते, वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं जो बेजुबान जानवरों के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। मलेशिया के पेनांग शहर की रहने वाली 64 साल की एक महिला को जानवरों से इतना प्यार है कि वह 100 से भी ज्यादा स्ट्रीट डॉग्स के लिए शेल्टर होम चला रही है। यही नहीं, वह बिल्लियों को भी अपने पास रखती है। यह महिला बहुत ज्यादा धनी नहीं है। वह चिकेन और राइस का एक स्टाल लगाती है और यही उसकी कमाई का एकमात्र जरिया है। फिर भी वह आवारा कुत्तों के लिए शेल्टर होम चलाने में काफी खर्च करती है। 

कैसे शुरू किया यह
हुआंग श्याओइंग नाम की इस महिला का कहना है कि करीब 20 साल पहले उसके दो कुत्ते एक कार से कुचल कर मर गए। इसके बाद उसने सड़कों पर आवारा घूमने वाले कुत्तों के लिए एक शेल्टर होम चलाने का फैसला किया। हुआंग श्याओइंग का कहना है कि जब भी वह सड़कों पर आवारा कुत्तों को देखती तो उसे अपने कुत्तों की याद आ जाती। उन्होंने कहा कि इसके बाद वह ऐसे कुत्तों के लिए एक शेल्टर होम शुरू किया और उनकी देख-रेख करने लगीं। श्याओइंग कहती हैं कि कुछ कुत्ते पेनांग के सिटी हॉल से भी आए हैं। वहीं, दूसरे लोग भी उन्हें कुत्ते दे जाते हैं। 

शेल्टर होम का खर्चा चलाना नहीं है आसान
जिस शेल्टर होम में 100 से भी ज्यादा कुत्ते रहते हों, उसका खर्च चलाना आसान नहीं है और वह भी उस महिला के लिए जो चिकेन-राइस का एक स्टाल चलाती हो। हुआंग का कहना है कि शेल्टर होम पर रोज का खर्चा  RM 200 (करीब 3,371 रुपए) आता है। शेल्टर को चलाने के लिए जो लोग उसने बहाल कर रखे हैं, उनकी सैलरी RM 1,500 (करीब 25275 रुपए) है। शेल्टर होम का रेंट उसे RM450 (7,585 रुपए) देना पड़ता है। यह शेल्टर होम चलाने का कम से कम खर्च है। पर वह किसी तरह इसकी व्यवस्था करती है। कई बार जब उसका चिकेन-राइस का उसका बिजनेस ज्यादा नहीं चल पाता तो कठिनाई होती है, लेकिन वह किसी तरह खर्च मैनेज करती है। 

पूरी रात शेल्टर होम में कुत्तों का रखती है ख्याल
रात भर शेल्टर होम में कुत्तों की देख-रेख करने के बाद सुबह 8 बजे वह अपने घर आती है और 10 बजे अपना चिकेन-राइस का स्टाल खोल देती है। शेल्टर होम उसके घर से 10-15 मिनट के वॉकिंग डिस्टेंस पर है। हुआंग का कहना है कई बार वहां पानी और बिजली की दिक्कत भी हो जाती है। जब लोग उससे पूछते हैं कि इतने कुत्तों का ध्यान रखने में वह थकती या परेशान तो नहीं हो जाती तो उसका जवाब होता है कि जब वह देखती है कि सड़कों पर आवारा घूमने और दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवाने वाले कुत्तों के रहने और खाने-पीने का एक बेहतर ठिकाना उसने बनाया है तो उसे इससे बहुत खुशी होती है। उसका कहना है कि वह अपनी खुशी के लिए यह सब कर रही है।   

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