ना इस देश में है नदी-ना झरने, फिर भी लोगों को नहीं होती पानी की किल्लत

सऊदी अरब एक ऐसा देश है जिसके चारों ओर केवल रेगिस्तान ही रेगिस्तान है, इसके पास ना तो दूर-दूर तक कोई स्थाई नदी है और ना ही कोई झरना। लेकिन हैरत की बात है कि फिर भी कभी इस देश में लोगों को पानी के लिए परेशान होते नहीं देखा गया है। 

Asianet News Hindi | Published : Oct 28, 2019 12:01 PM IST / Updated: Oct 28 2019, 05:34 PM IST

दुबई: सऊदी अरब में पानी बहुत ही कम मात्रा में उपलब्ध है और बेहद कीमती भी। यहां भले ही पानी की मांग बढ़ती जा रही हो लेकिन फिर भी देश में किसी भी प्रकार संसाधनों को लेकर कोई बढोतरी नहीं हुई है। तो क्या आप जानते हैं की आखिर सऊदी अरब कैसे अपने लोगों की पानी की कमी को पूरा कर पा रहा है?

बता दे की तमाम परेशानियों के बाद भी ये देश ऐसे नए-नए तरीके निकाले बैठा हैं जिनसे ये पानी की मांग पूरी करने में सक्षम है –

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अक्बीफर्स के जरिए 
सऊदी अरब में पानी मुहैया कराने का अहम स्रोत अक्बीफर्स हैं। अक्बीफर्स में अंडरग्राउण्ड पानी पहुंचाया जाता है। इस तकनीक की शुरुआत सऊदी अरब की सरकार ने सन् 1970 में की थी और धीरे-धीरे यहाँ अब हजारों अक्बीफर्स बनाए जा चुके हैं। अक्बीफर्स स्रोत से आया पानी लगभग देश के हर सेक्टर में इस्तेमाल करने के लिए पहुंचाया जाता है जैसे कि शहरी और कृषि दोनो ही मुख्य जगहों पर यही से पानी आता है। 


समुद्र के जरिए 
सऊदी अरब में पानी का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है समुद्र। लेकिन समुद्र का पानी पीने लायक नहीं होते जिसके कारण सऊदी अरब में कई बड़ी-बड़ी मशीने हैं जो इस पानी को पीने लायक बनाती हैं। समुद्री पानी को पीने लायक बनाने वाली प्रक्रिया को डेसेलिनेशन कहते हैं। सेलिन वॉटर कनवर्सेशन कॉर्पोरेशन 27 डेसेलिनेशन स्टेशन को ऑपरेट करता है और इससे 3 बिलियन क्यूबिक लीटर पोर्टेबल वाटर हर दिन निकलता है। शहरों की करीब 70 प्रतिशत जरूरतो को इन्हीं मशीनों द्वारा निकले पानी से पूरा किया जाता है और यह इंडस्ट्रीज के इस्तेमाल लायक पानी भी उपलब्ध कराते हैं। इलेक्ट्रिक पावर जनरेशन भी इसका एक महत्वपूर्ण सोर्स है। 

सऊदी अरब में पानी का इस समय डेसेलिनेशन एक बेहद ,महंगा विकल्प है क्योंकि इसे अभी तक वैज्ञानिक कम दाम पर मुहैया नहीं करा पाये हैं। जहा एक तरफ साधारण तरीके से खारे पानी को शुद्ध कर पीने लायक बनाया जाता है, वह मात्र $200 प्रति एकड़ का खर्च लेता है जबकि दूसरी ओर डेसेलिनेशन पानी की शुद्धि में $1000 प्रति एकड़ का खर्च लेता है। यह तकनीक वैसे तो धीरे-धीरे उत्पन्न हो रही है और वैज्ञानिक भी इसे कम लागत में उपलब्ध कराने की कोशिश में लगे हुए हैं और वह काफी समाधान ढूंढ भी चुके हैं जिनके जरिए ये डेसेलिनेशन पहले के मुकाबले अब थोड़ा सस्ता हो चुका है। 

डेसेलिलेटेड पानी का सबसे ज्यादा उपयोग मीडल ईस्ट के देशो यानी सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन में होता है। लगभग दुनिया के 70% डेसेलिलेटेड पानी का उपयोग केवल यही 4 देश कर लेते हैं। इन देशों में अगर बाढ़ भी आ जाती है तो उस पानी को भविष्य के लिए संग्रह कर लिया जाता है। देश में कई बड़े-बडे बांध भी हैं जो काफी मात्रा में जल संग्रह करते हैं। 
 

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