इस पाकिस्तानी पीएम को भी मिली थी फांसी, मौत के बाद खींची गई थी प्राइवेट पार्ट की फोटो

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को राजद्रोह के मामले में फांसी की सजा सुनाई गई। पाकिस्तान में इससे पहले भी ताकतवर राजनेताओं को फांसी दी गई है। इसमें पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टों शामिल हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Dec 17, 2019 9:04 AM IST / Updated: Dec 18 2019, 09:25 AM IST

पाकिस्तान: भारत में कई राजनेता दुष्कर्म से लेकर मर्डर जैसे आरोपों के साथ भी राजनीति में एक्टिव रहते हैं। पाकिस्तान में भी माहौल कुछ ऐसा ही है। लेकिन पाकिस्तान में देशद्रोह के आरोप में कई राजनेताओं को फांसी पर चढ़ाया जा चुका है। 4 अप्रैल 1979 को लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए पाकिस्तान के पहले पीएम जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी दी गई। 

विपक्षी नेता की हत्या का था आरोप 
भुट्टो 14 अगस्त 1973 से 5 जुलाई 1977 तक पाक के पीएम रहे थे। बाद में मोहम्मद जिया-उल-हक ने उनका तख्तापलट किया था। उनपर प्रधानमंत्री बनने के एक साल बाद अपने विपक्षी नेता की हत्या करने का आरोप लगा, जिसके बाद उन्हें अरेस्ट कर लिया गया। इस मामले की सुनवाई सीधे हाई कोर्ट में हुई थी। जिसके बाद 18 मार्च 1978 में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी। 

जेल में ऐसे कटे थे दिन 
भुट्टो को जेल में काफी सख्ती का सामना करना पड़ा। उनके दोस्त सलमान तासीर की कितान भुट्टो के अनुसार उनके साथ जेल के टॉयलेट में भी गार्ड जाते थे। इस कारण से भुट्टो को काफी शर्मिंदगी होती थी। बाद में उन्होंने खाना ही छोड़ दिया ताकि उन्हें टॉयलेट ना जाना पड़े। कुछ समय बाद उनके लिए अलग से टॉयलेट बनवा दिया गया।  

8 घंटे में मिली फांसी 
3 अप्रैल को उन्हें बताया गया कि अगले दिन उन्हें फांसी दी जाएगी। इसके बाद रात के 2 बजकर 4 मिनट में उन्हें फांसी दी गई। कहा जाता है कि मौत के वक्त वो दवा के कारण नशे में थे। उन्हें फांसी के बाद आधे घंटे तक लटकाया गया। जिसके बाद डॉक्टर्स ने उनकी जांच की और उन्हें मृत घोषित किया।  

मौत के बाद खींची प्राइवेट पार्ट की फोटो 
किताब के अनुसार भुट्टो को फांसी दिए जाने के बाद एक ख़ुफ़िया एजेंसी के फोटोग्राफर ने उनके प्राइवेट पार्ट की फोटोज खींची थी। ऐसा इसलिए किया गया था ताकि इसकी पुष्टि हो सके कि उनका खतना हुआ था या नहीं। तस्वीरों से साफ़ हो गया कि उनका इस्लामी रिवाज के मुताबिक़ खतना हुआ था।  

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