बच्चों के कान क्यों खींचते हैं पीएम?

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों अमेरिकी दौरे पर हैं। रविवार को ह्यूस्टन में उन्होंने 50 हजार से ज्यादा लोगों के सामने भाषण दिया था। इससे पहले उनसे कुछ बच्चे भी मिले। इस दौरान उन्होंने बच्चों के कान खींचे। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर मोदी ऐसा क्यों करते हैं? 

Asianet News Hindi | Published : Sep 24, 2019 7:06 AM IST / Updated: Sep 24 2019, 02:46 PM IST

भोपाल: नरेंद्र मोदी की पहचान अब दुनिया के ताकतवर नेताओं में से एक के तौर पर होती है। भारत में तो उनके कई फैंस हैं ही, ताजा अमेरिकी दौरे ने जता दिया कि विदेश में भी उनके कम प्रशंसक नहीं हैं। मोदी के बारे में एक बात काफी मशहूर है कि वो जब भी बच्चों से मिलते हैं, उनके कान जरूर खींचते हैं। 

ह्यूस्टन में भी जब उनसे कुछ बच्चे मिले, तो उन्होंने बच्चों के कान खींचे। आप भी सोच रहे होंगे कि लोग जब बच्चों से मिलते हैं तो उन्हें आशीर्वाद देते हैं, सिर पर हाथ फेरते हैं, गाल सहलाते हैं। ऐसे में भारत के पीएम उनके कान क्यों खींचते हैं? तो आपको बता दें कि इसके पीछे एक खास कारण है। 

इसका जवाब भारत के पुराने ग्रंथों में है। दरअसल, मोदी जब बच्चों के कान खींचते हैं, उसे थोप्पुकरणम कहते हैं। इसका जिक्र सुपर ब्रेन योगा में किया गया है। साउथ इंडिया में ये प्रक्रिया काफी मशहूर है। ऐसा कहा जाता है कि इससे बच्चों में एकाग्रता और उनकी स्मरण शक्ति बढ़ जाती है। तमिलनाडु में तो मंदिरों में गणेशजी की मूर्ति के सामने बच्चों के कान पकड़कर उनसे उठक-बैठक करवाई जाती है।  

इस प्रक्रिया में दाहिने हाथ से बायां कान और बाएं हाथ से दाहिना कान पकड़ा जाता है। कहा जाता है कि इससे बच्चे बुद्धिमान बनते हैं। अगर मेडिकल टर्म्स में बात करें तो कान के नीचले भाग जिसे ईयर लोब कहते हैं, वहां दिमाग से जुड़े एक्यूप्रेशर पॉइंट होते हैं। कान पकड़ते ही  ये पॉइंट्स एक्टिव हो जाते हैं। साइंस के मुताबिक, इस प्रक्रिया से बच्चों का दिमाग एक्टिव रहता है। 

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