मरीजों का इलाज करते हुए संक्रमित हो गया था डॉक्टर, ठीक हुआ तो खुद को पहचान नहीं पाया

कोरोना वायरस के मरीजों का इलाज करने के दौरान कई डॉक्टर भी इससे संक्रमित हो गए। कई डॉक्टरों की तो इससे मौत भी हो गई। चीन में भी कोरोना के मरीजों का इलाज करते हुए कई डॉक्टर संक्रमण के शिकार हो गए। कोरोना के मरीजों में यह देखने में आया है कि ठीक होने के बाद उनकी स्किन के कलर में बदलाव आ जाता है। 

हटके डेस्क। कोरोना वायरस के मरीजों का इलाज करने के दौरान कई डॉक्टर भी इससे संक्रमित हो गए। कई डॉक्टरों की तो इससे मौत भी हो गई। चीन में भी कोरोना के मरीजों का इलाज करते हुए कई डॉक्टर संक्रमण के शिकार हो गए। कोरोना के मरीजों में यह देखने में आया है कि ठीक होने के बाद उनकी स्किन के कलर में बदलाव आ जाता है। ऐसा हार्मोनल असंतुलन पैदा होने की वजह से होता है। यह भी कहा जा रहा है कि कोरोना का इन्फेक्शन होने पर लिवर डैमेज होने लगता है, जिससे हार्मोन के स्राव में कुछ बदलाव आने लगता है। इससे चेहरा काला पड़ जाता है और स्किन संबंधी दूसरी दिक्कतें भी पैदा होती हैं।

दो चाइनीज डॉक्टरों को बचाया गया
कोरोना के मरीजों का इलाज करते हुए चीन के दो डॉक्टर इसके संक्रमण के शिकार हो गए। डॉक्टर ई फान और डॉक्टर हू वीफेंग को जब कोरोना का संक्रमण हो गया तो उनके इलाज के लिए इसीएमओ (ECMO) नाम की लाइफ सपोर्ट मशीन का उपयोग किया गया। इन दोनों डॉक्टरों की उम्र करीब 42 साल है। इन्हें जनवरी में कोरोना का संक्रमण हुआ, जब ये वुहान सेंट्रल हॉस्पिटल में मरीजों का इलाज कर रहे थे।  

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39 दिनों तक रखा गया लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर
डॉक्टर ई फान और डॉक्टर हू वीफेंग डॉक्टर ली वेनलियांग के सहयोगी थे, जिन्होंने सबसे पहले कोरोना के बारे में जानकारी दी थी और जिन्हें इसके लिए सजा दी गई थी। उनकी मौत कोरोना के संक्रमण की वजह से 18 जनवरी को हो गई थी। डॉक्टर ई फान और डॉक्टर हू वीफेंग को कोराना का संक्रमण होने पर वुहान के पलमोनरी हॉस्पिटल में ले जाया गया। इसके बाद उन्हें टोंग्जी हॉस्पिटल के जोंग्फा शिनचेंग ब्रांच में भर्ती किया गया। वहां कॉर्डियोलॉजिस्ट्स ने उन्हें इसीएमओ (ECMO) लाइफ सपोर्ट सिस्टम मशीन पर 39 दिनों तक रखा। 

ठीक हो गए, लेकिन पहचानना हुआ मुश्किल
लंबे समय तक चले इलाज के बाद ये डॉक्टर ठीक तो हो गए, लेकिन जब इन्होंने खुद को देखा तो इनकी सूरत पूरी तरह बदल गई थी। इनका चेहरा काला पड़ गया था। दरअसल, ऐसा लिवर के फंक्शन में गड़बड़ी पैदा होने से हुआ। इसीएमओ मशीन के जरिए इनके हार्ट और लंग्स के फंक्शन को ठीक रखा गया। इस मशीन के जरिए शरीर के बाहर ब्लड निकाल कर उसमें ऑक्सीजन की पम्पिंग की जाती है। अभी डॉक्टर ई फान हॉस्पिटल में ही भर्ती हैं। हॉस्पिटल के बेड से ही उन्होंने बताया कि वे अब एक हद तक ठीक हैं, लेकिन अपने आप चल-फिर नहीं सकते। उनका कहना था कि जब उन्हें होश आया और अपनी हालत के बारे में पता चला तो गहरा सदमाा पहुंचा। उन्होंने कहा कि डॉक्टर उनकी काउंसलिंग भी कर रहे हैं।  


 

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