नर्क की जिंदगी जी रहे थे कुत्ते, फिर मसीहा बन सामने आया ये इंसान

आज जब जानवरों के प्रति कूरता बढ़ती जा रही है, थाईलैंड में सेना के एक जवान ने दिव्यांग कुत्तों के लिए व्हीलचेयर बनाया है, ताकि उन्हें चलने-फिरने में कोई दिक्कत नहीं हो। इस शख्स ने अब तक 100 विकलांग कुत्तों के लिए व्हीलचेयर बना कर उन्हें नई जिंदगी दी है।

हटके डेस्क। आज जब जानवरों के प्रति कूरता बढ़ती जा रही है, थाईलैंड में सेना के एक जवान ने दिव्यांग कुत्तों के लिए व्हीलचेयर बनाया है, ताकि उन्हें चलने-फिरने में कोई दिक्कत नहीं हो। इस शख्स ने अब तक 100 विकलांग कुत्तों के लिए व्हीलचेयर बना कर उन्हें नई जिंदगी दी है। सेना के इस जवान की कहानी फेसबुक पर वायरल हो रही है। इस शख्स का नाम जा चैट है। वह थाईलैंड के टाक प्रोविन्स के सैम न्गाओ जिले का रहने वाला है। पिछले 8 वर्षों से वह थाईलैंड की मिलिट्री में सर्विस दे रहा है।

गांव वालों की भी करता है मदद
जा चैट नाम का यह मिलिट्री मैन इतने दयालु स्वभाव का है कि वह गांव के जरूरतमंद लोगों की भी हर तरह से मदद करता है। वह उनके लिए दवाइयां, कपड़े, बेडशीट और दूसरी चीजें लाकर देता है। वह किसी भी तरह की मुसीबत आने पर गांव वालों के साथ आ खड़ा होता है। उसके इस दयालु स्वभाव को देखते हुए गांव के लोग उसे संत कहते हैं। 

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खाली समय में बनाता है कुत्तों के लिए व्हीलचेयर
मिलिट्री की अपनी कड़ी ड्यूटी से जब जा चैट को जब समय मिलता है तो वह प्लास्टिक पाइप और दूसरी बेकार पड़ी चीजों का इस्तेमाल कर विकलांग कुत्तों के लिए व्हीलचेयर बनाता है। बता दें कि सड़कों पर घूमने वाले आवारा कुत्ते कई बार दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं और फिर चलने-फिरने से लाचार हो जाते हैं। ऐसे कुछ कुत्तों की तकलीफ को देखने के बाद जा ने उनके लिए व्हीलचेयर बनाने के बारे में सोचा। 

क्या कहना है इस शख्स का
जा चैट का कहना है कि वह व्हीलचेयर बनाने के लिए हमेशा सस्ती चीजों का इस्तेमाल करता है और विकलांग कुत्तों की जरूरतों को देखते हुए उनके हिसाब से व्हीलचेयर तैयार करता है। उसका कहना था कि जब कुत्ते विकलांग हो जाते हैं, तो उन्हें अपने लिए खाना जुटा पाने में बड़ी दिक्कत होती है। ऐसे वे कहीं न कहीं से खाने की कुछ न कुछ चीजें हासिल कर लेते हैं। जा चैट ने कहा कि उसके व्हीलचेयर से जब कुत्ते जब फिर से चलने लायक हो जाते हैं तो उसे बहुत खुशी होती है। जा का कहना है कि वह सिर्फ कुत्तों के लिए ही व्हीलचेयर नहीं बनाता। अगर गांव का कोई आदमी विकलांग हो गया हो और उसे प्रोस्थेटिक लेग की जरूरत हो, तब भी वह उनके लिए सस्ती चीजों से यह बना देता है। उसे सिर्फ पता चलना चाहिए कि किसी को ऐसी चीज की जरूरत है। फिर वह उनकी मदद करने की जरूर कोशिश करता है।  

 
 

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