एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस:2019 में 12 लाख से अधिक लोगों की मौत, बच्चों के लिए ज्यादा घातक, स्टडी में खुलासा

रोगाणुरोधी प्रतिरोध से 2019 में 12 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है।  इस बात का खुलासा एक स्टडी में हुआ है।  अध्ययन में कहा गया है कि यह बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक है।  
 

Asianet News Hindi | Published : Jan 22, 2022 5:19 AM IST / Updated: Jan 22 2022, 11:08 AM IST

नई दिल्ली :  कोरोना महामारी ने इंसानी जीवन के हर पक्ष को प्रभावित किया है।  लेकिन महामारी ने इंसानों को काफी सारे सबक भी सिखाए हैं।  महामारी ने लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना सीखा दिया है।  इस समय दुनिया कोरोना महामारी से जुझ रही है।  इसी बीच एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) (रोगाणुरोधी प्रतिरोध) (antimicrobial resistance ) को लेकर एक चिंताजनक अध्ययन सामने आया है।  जिसमें कहा गया है कि एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस से सभी उम्र के व्यक्तियों को खतरा है।  यह अध्ययन लेसेंट मेडिकल जर्नल (Lancet research) में प्रकाशित हुआ है।  अक्सर यही माना जाता है कि इंसानों की मौत एचाईवी या मलेरिया जैसे खतरनाक संक्रमण से होता है।  लेकन इस अध्ययन ने यह नजरिया बदलने पर मजबूर कर दिया है। 

हर उम्र के इंसान को खतरा
अध्ययन में कहा गया है कि एएमआर से प्रत्येक व्यक्ति को खतरा है, लेकिन यदि आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि इससे युवा बच्चों को ज्यादा खतरा है।  अध्ययन में इस बात को जोर दिया गया है कि  पूरी दुनिया में एएमआर मौत की प्रमुख वजह हो गई है।  यहां तक कि इस मामले में यह एचआईवी/एड्स और मलेरिया से भी ज्यादा आगे निगल गया है।

बच्चों के लिए ज्यादा घातक
इस स्टडी को 2019 में किया गया था, जिसमें पता चला है कि 49. 5 लाख लोगों की मौत की वजह कम से कम एक दवा रोधक संक्रमण थी और एएमआर सीथे 12. 7 लाख लोगों की मृत्यु का कारण बना है। वहीं स्टडी में पता चला है कि यह बच्चों के लिए ज्यादा घातक है।  बच्चों में एएमआर की वजह से 5 साल से कम उम्र के बच्चों में पांच में से एक मौत ऐसी थी, जिनका पहले इलाज हो सकने वाले संक्रमण से हुई थी। 

204 देशों के लोगों पर किया गया अध्ययन
यह अध्ययन  204 देशों के लोगों पर किया गया, जिसमें 47। 1 लाख लोगों के रिकॉर्ड थे।  स्टडी में कहा गया है कि हमें प्रभावी वैक्सीन, दवाओं और इलाज के लिए पर्याप्त तेजी से नए उपाय विकसित नहीं कर पा रहे हैं।  1980 से 2000 के बीच केवल 63 ही नई एंटीबायोटिक दवाओं को इलाज के लिए उपयोग में लाने के लिए अनुमति दी गई, जो 2000 से 20018 तक केवल 15 ही रह गई। 

अफ्रीका में 2. 55 लाख लोगों की मौत
अफ्रीका पर इसका में  सबसे अधिक बोझ है, जहां केवल एक ही साल में एएमआर की वजह से 2. 55 लाख मौतें हुई हैं।  वहीं उच्च आय वाले देशों में ही हालात चेताने वाले ही हैं, जहां एशेरिकिया कोलाए या ई कोलाए बैक्टीरया संक्रमण जो गुर्दे को प्रभावित करता है और खून को संक्रमित करने वाले स्टैफिलोकॉकस ऑरियस जो लोगों को अस्पताल ही पहुंचा देता है, मौत की सामान्य वजह बनते जा रहे हैं। 

क्या होता है एएमआर
एंटीमाइक्रोबियल रजिस्टेंस तब होता है, जब संक्रमण फैलाने में सक्षम बैक्टीरिया, वायरस, फफूंद और परजीवी समय के साथ बदलते हैं और उन पर दवाओं का असर नहीं होता है इससे संक्रमण का इलाज मुश्किल हो जाता है और बीमारी के फैलने, गंभीर होने और मौत होने का जोखिम बढ़ जाता है।  

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