एजेंसी ने अपने बयान में कहा कि वर्ष 2020 के लिए ध्वनि प्रदूषण कम करने के वास्ते तय किए गए उद्देश्य और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निधार्रित स्तर को बरकरार रखना मुश्किल होगा।
कोपेनहेगेन. हर पांच में से एक यूरोपीय नागरिक ध्वनि प्रदूषण से प्रभावित है, जोकि उनके स्वास्थ्य के लिए खासा नुकसानदेह है। यूरोपीय पर्यावरण एजेंसी (ईईए) ने गुरुवार को एक रिपोर्ट में यह दावा किया। इस रिपोर्ट के बाद यूरोपीय संघ के ध्वनि प्रदूषण को काबू करने के अपने दावे की विफलता सामने आई है।
वाहनों की बढ़ती मांग के कारण ध्वनी प्रदूषण में इजाफा
एजेंसी ने अपने बयान में कहा कि वर्ष 2020 के लिए ध्वनि प्रदूषण कम करने के वास्ते तय किए गए उद्देश्य और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निधार्रित स्तर को बरकरार रखना मुश्किल होगा। इसमें कहा गया कि भविष्य के बढ़ते शहरीकरण और आवागामन के लिए वाहनों की बढ़ती मांग के चलते ध्वनि प्रदूषण में इजाफा हो सकता है। खासकर रात में ध्वनि प्रदूषण से आम लोगों के स्वास्थ्य पर बेहद हानिकारक प्रभाव पड़ता है क्योंकि इससे नींद में अड़चन आती है। स्थायी ध्वनि प्रदूषण हृदय और सायकोफिलियोलॉजी प्रभाव के साथ ही संज्ञानात्मक प्रदर्शन को कम करता है।
करीब 11 करोड़ लोग गाड़ीयों से होने वाले ध्वनी प्रदूषण से प्रभावित
ईर्ईए के मुताबिक, पूरे यूरोप में करीब 11.3 करोड़ लोग यातायात से होने वाले लंबे समय के ध्वनि प्रदूषण से प्रभावित हैं। करीब 2.2 करोड़ लोग रेल द्वारा उत्पन्न ध्वनि प्रदूषण जबकि करीब 40 लाख लोग हवाई जहाज के ध्वनि प्रदूषण से प्रभावित हैं। ईईए ने कहा कि यूरोप के अधिकतर देशों में करीब 50 प्रतिशत लोग सड़क पर 55 डेसीबल या इससे अधिक लेवल की आवाज से दिन-शाम और रात में प्रभावित होते हैं जोकि डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुशंसित 53 डेसिबल से काफी ज्यादा है।
प्रदूषण से 12 हजार लोगों ने गंवाई जान
एजेंसी के मुताबिक, ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव में आने के कारण यूरोप में करीब 12 हजार लोग अकाल मृत्यु के शिकार हो गए जबकि करीब 12,500 बच्चों में संज्ञानात्मक विकार हुए। ईईए के वायु प्रदूषण, पर्यावरण और स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख कैथरीन गैंजलेबेन ने कहा कि आवागमन के लिए लोगों को वाहनों के मुकाबले पैदल चलने या साइकिल का इस्तेमाल को बढ़ावा देना चाहिए। ऐसा करना ध्वनि प्रदूषण को कम करने में खासा प्रभावी हो सकता है।
(ये खबर न्यूज एजेंसी पीटीआई/भाषा की है। एशियानेट हिन्दी न्यूज ने सिर्फ हेडिंग में बदलाव किया है।)
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