
Afghanistan Pakistan River Water Tension: अफगानिस्तान ने इस हफ्ते इंडिया की तर्ज पाकिस्तान को करारा झटका देने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। तालिबान के सुप्रीम लीडर मौलवी हिबतुल्लाह अखुंदजादा ने आदेश दिया कि कुनार नदी पर जल्द से जल्द बांध बनाया जाए। यह वही कदम है जो भारत ने 22 अप्रैल को जम्मू और कश्मीर में हुए आतंकी हमले के बाद सिंधु जल समझौते को सस्पेंड करके उठाया था। तालिबान का कहना है कि अफ़गानों को अपने पानी का प्रबंधन करने का पूरा अधिकार है।
कुनार नदी पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोनों देशों में बहती है। इसका उद्गम खैबर पख्तूनख्वा के चित्राल जिले के हिंदू कुश पहाड़ों में होता है और यह अफगानिस्तान के कुनार और नंगरहार प्रांतों से होकर काबुल नदी में मिलती है। बाद में ये पानी पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में सिंधु नदी में पहुंचता है। अगर तालिबान यहां बांध बनाता है, तो पाकिस्तान के खेतों और लोगों को पानी मिलना मुश्किल हो सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अफगानिस्तान का यह कदम क्षेत्र में जल संकट और तनाव बढ़ा सकता है, क्योंकि दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच सिंधु जल संधि जैसी कोई अंतरराष्ट्रीय सहमति नहीं है।
अगस्त 2021 में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से वे देश की नदियों और नहरों पर अपना नियंत्रण मजबूत कर रहे हैं। बांध और नहरें बनाकर वे अपनी खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करना चाहते हैं। उत्तरी अफगानिस्तान में बन रही कोश टेपा नहर इसका उदाहरण है, जो 285 किमी लंबी है और 550,000 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन को खेती योग्य बनाने की क्षमता रखती है।
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह नहर आमू दरिया जैसी दूसरी नदियों का पानी 21 से 22 प्रतिशत तक मोड़ सकती है, जिससे उज़्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान जैसे पहले से ही पानी की कमी वाले देश प्रभावित होंगे।
पिछले हफ्ते अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी भारत आए थे और हेरात प्रांत में बांध निर्माण में मदद की सराहना की। दोनों देशों ने स्थायी जल प्रबंधन और हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट्स में सहयोग पर सहमति जताई।
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