अमेरिकी रिपोर्ट : अफगानिस्तान की आग में हमेशा से घी डालने का काम करता रहा है पाकिस्तान

अफगानिस्तान के मामलों को लेकर पाकिस्तान का रवैया हमेशा से आग में घी डालने वाला रहा है। वह अफगानिस्तान में विध्वंसक भूमिका निभाता रहा है।

वाशिंगटन। अफगानिस्तान (Afganistan) से जुड़े मामलों में पाकिस्तान (Pakistan) लंबे समय से सक्रिय है। कई मामलों में इसने विध्वंसकारी एवं अस्थिरता लाने जैसी भूमिका निभाता रहा है। इसमें तालिबान को समर्थन देने के लिए प्रावधान का सहारा लेना भी शामिल है। यह जानकारी एक कांग्रेशनल रिपोर्ट में सामने आई है।
कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) की इस रिपोर्ट में कहा गया कि यदि पाकिस्तान, रूस और चीन जैसे अन्य देश और कतर जैसे अमेरिका के साझेदार तालिबान को और मान्यता देने की दिशा में बढ़ेंगे तो इससे अमेरिका (America) अलग-थलग पड़ सकता है। वहीं, अमेरिकी दबाव का विरोध करने, उससे बच निकलने के तालिबान (Taliban) को और अवसर मिलेंगे। 

अमेरिका का दंडात्मक रवैया गंभीर करेगा हालात
रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिका का और दंडात्मक रवैया अफगानिस्तान में पहले से गंभीर बने मानवीय हालात को और गहरा कर सकता है। सीआरएस रिपोर्ट, सांसदों को विभिन्न मुद्दों पर जानकारी देने के लिए तैयार की जाती है, ताकि उसके आधार पर वे निर्णय ले सकें। इसे अमेरिकी कांग्रेस की आधिकारिक सोच या रिपोर्ट नहीं माना जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान के मामलों में पाकिस्तान लंबे समय से सक्रिय और कई मायनों में विध्वंसकारी एवं अस्थिरता फैलाने वाली भूमिका निभाता रहा है, जिसमें तालिबान को समर्थन देने संबंधी प्रावधान भी शामिल है। कई पर्यवेक्षक अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे को पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण जीत के रूप में देखते हैं, जिससे अफगानिस्तान में उसका प्रभाव बढ़ा है और वहां भारत के प्रभाव को सीमित करने के उसके दशकों से चले आ रहे प्रयासों को भी बढ़ावा मिला है।

मान्यता न मिलने से बौखलाया है तालिबान
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता न मिलने से अफगानिस्तान में तालिबानी शासन में विरोध के सुर उठने लगे हैं। वह बुरी तरह बौखलाया हुआ है। बुधवार को दिल्ली में आठ देशों के एनएसए सम्मेलन में अफगानिस्तान के तमाम मुद्दों पर चर्चा हुई। सभी देशों के रक्षा सचिवों या एनएसए ने प्रधानमंत्री मोदी से भी मुलाकात की थी। इस दौरान प्रधानमंत्री ने अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार की आवश्यकता, आतंकवादी समूहों द्वारा अफगान क्षेत्र का इस्‍तेमाल किए जाने के बारे में ‘जीरो-टॉलरेंस’ अपनाना, अफगानिस्तान से नशीले पदार्थों एवं हथियारों की तस्करी की समस्‍या से निपटने की रणनीति और अफगानिस्तान में तेजी से गहराते गंभीर मानवीय संकट को सुलझाने पर ध्यान देने की बात कही थी।

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