
Australia Gun Control Reform: ऑस्ट्रेलिया के बोंडी बीच में हुए भीषण हमले के बाद देश की राजनीति और सुरक्षा व्यवस्था में हलचल मच गई है। इस हमले ने एक बार फिर बंदूक कानूनों की सख्ती और आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाने की मांग को तेज कर दिया है। ऑस्ट्रेलिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला राज्य न्यू साउथ वेल्स अब सख्त बंदूक कानून पास करने की तैयारी में है। सरकार का कहना है कि यह कदम जनता की सुरक्षा के लिए जरूरी है, लेकिन विपक्ष और ग्रामीण इलाकों में इसे लेकर सवाल भी उठ रहे हैं।
14 दिसंबर को बोंडी (Bondi) बीच में यहूदी हनुक्का उत्सव के दौरान हुई सामूहिक गोलीबारी ने पूरे ऑस्ट्रेलिया को झकझोर दिया। इस हमले में 15 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हुए। यह घटना इसलिए भी चौंकाने वाली थी क्योंकि ऑस्ट्रेलिया पहले से ही सख्त बंदूक कानूनों के लिए जाना जाता है। इस हमले के बाद सरकार पर तुरंत कार्रवाई का दबाव बन गया।
न्यू साउथ वेल्स की लेबर सरकार ने आतंकवाद और अन्य कानून संशोधन बिल पेश किया है। इस बिल के तहत ज्यादातर निजी लोगों के लिए चार बंदूकों तक की सीमा तय करने का प्रस्ताव है। वहीं, किसानों को अधिकतम 10 हथियार रखने की अनुमति दी जाएगी। सरकार का कहना है कि इससे हथियारों पर बेहतर नियंत्रण रहेगा और भविष्य में ऐसे हमलों को रोका जा सकेगा।
इस नए बिल में सिर्फ बंदूक कानून ही नहीं, बल्कि आतंकवादी प्रतीकों के प्रदर्शन पर रोक और कुछ विरोध प्रदर्शनों पर सख्ती का भी प्रावधान है। सरकार का मानना है कि नफरत फैलाने वाले प्रतीक और उग्र प्रदर्शन हिंसा को बढ़ावा दे सकते हैं। बोंडी बीच हमला यहूदी-विरोधी भावना से जुड़ा बताया जा रहा है, इसलिए यह पहल और अहम हो गई है।
पुलिस के अनुसार, कथित हमलावर साजिद अकरम के पास छह हथियार थे। उसे मौके पर ही गोली मार दी गई। उसके 24 वर्षीय बेटे नवीद पर हत्या और आतंकवाद समेत 59 गंभीर आरोप लगाए गए हैं। यह जानकारी सामने आने के बाद हथियारों की संख्या और लाइसेंस प्रणाली पर भी सवाल खड़े हो गए।
ऑस्ट्रेलिया ने 1996 की गोलीबारी के बाद अपने बंदूक कानून काफी सख्त कर दिए थे। फिर भी पुलिस रजिस्ट्रियों से पता चला है कि न्यू साउथ वेल्स में 70 से ज्यादा लोगों के पास 100 से ज्यादा बंदूकें हैं। एक व्यक्ति के पास तो 298 हथियार दर्ज हैं। यही आंकड़े सरकार को और कड़े कदम उठाने के लिए मजबूर कर रहे हैं।
सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड के एक सर्वे में सामने आया कि करीब 75 प्रतिशत ऑस्ट्रेलियाई सख्त बंदूक कानूनों के पक्ष में हैं। हालांकि, ग्रामीण इलाकों पर ध्यान देने वाली नेशनल्स पार्टी इन सुधारों का विरोध कर रही है। उनका कहना है कि इससे किसानों और ग्रामीण समुदायों को नुकसान होगा।
संघीय सरकार ने भी सख्त बंदूक नियंत्रण और बंदूक बायबैक योजना का वादा किया है। हालांकि, हमले की जांच के लिए शाही आयोग बनाने की मांग को खारिज कर दिया गया है। प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ ने इसके बजाय खुफिया और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की स्वतंत्र समीक्षा की घोषणा की है।
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