मरते हुए शख्स ने बेटी को बहादुरी से मौत का सामना करना सिखाया, रुला देगी बाप-बेटी की कहानी

Published : Oct 25, 2025, 12:40 AM IST
Dying Man Teaches Daughter To Face Death With Courage

सार

चीन में 67 वर्षीय डोंग पैनक्रिएटिक कैंसर का शांति से सामना कर रहे हैं। उनकी बेटी द्वारा शेयर किए गए वीडियो में, वे मृत्यु को सहजता से स्वीकार करने और जीवन का आनंद लेने की सलाह देते हैं। उनकी यह कहानी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बन गई है।

बीजिंग/नई दिल्ली। चीन में एक शख्स जिस शांति और साहस के साथ मौत का सामना कर रहा है, वो न सिर्फ उसकी बेटी बल्कि लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बन गया है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, पूर्वी चीन में एक गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति ने मौत के प्रति अपने शांत और साहसी नजरिये से बहुतों को प्रभावित किया है। 67 साल के इस शख्स का नाम डोंग है, जिसकी बेटी सानबाई ने सोशल मीडिया पर अपने पिता के साथ हुई बातचीत का एक इमोशनल वीडियो शेयर किया है।

डॉक्टरों ने दिया जवाब, फिर भी जीने की उम्मीद नहीं छोड़ी

सानबाई ने बताया कि उनके 67 साल के पिता डोंग को 2025 की शुरुआत में पैनक्रिएटिक कैंसर का पता चला। केमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के कई असफल प्रयासों के बाद उन्होंने इलाज बंद करने का फैसला किया। सानबाई के मुताबिक, अगस्त 2025 में उन्होंने अपनी रियल एस्टेट की नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह मां के साथ मिलकर पिता की देखभाल में जुट गईं। सानबाई ने बताया कि दिन-ब-दिन शारीरिक रूप से कमजोर होने के बावजूद मेरे पिता मानसिक रूप से मजबूत बने हुए हैं और मुझे जिंदगी के अंत को सम्मान और शांति के साथ स्वीकार करने के बारे में मार्गदर्शन दे रहे हैं।

डॉक्टरों ने दिया 6 महीने से भी कम का वक्त

सानबाई ने बताया कि डॉक्टरों ने उनके पिता को जीने के लिए 6 महीने से भी कम समय दिया है, लेकिन डोंग के रवैये और जीवन की कहानी ने लाखों लोगों को प्रभावित किया है। सानबाई ने अपने पिता के जीवन की कहानी शेयर करते हुए बताया कि कैसे वो गरीबी से कामयाबी तक पहुंचे। मेरे पिता दिन में एक फैक्टरी में काम करते थे और रात में जापानी भाषा सीखते थे। बाद में उन्हें अपनी मेहनत के बल पर शंघाई इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिल गया। पढ़ाई के बाद वे कुछ दिनों के लिए जापान चले गए और वहां काम किया। जापान से लौटने के बाद उन्होंने अपनी टेक्सटाइल कंपनी खोल ली। फिर 45 साल की उम्र में अपनी कंपनी बेचकर घूमने के सपने को पूरा किया।

जब अंत समय आ ही गया, तो उससे लड़ने की जरूरत नहीं

16 अक्टूबर को डोंग की बेटी सानबाई ने सोशल मीडिया पर एक इमोशनल वीडियो शेयर किया, जिसमें उनकी और पिता के बीच जिंदगी और मौत के बारे में एक शांत बातचीत दिखाई गई। डोंग ने बेटी से कहा, "जिंदगी का मतलब है उसका आनंद लेना। लेकिन, जब भाग्य कहता है कि अंत समय आ गया है, तो उससे लड़ने की कोई जरूरत नहीं है। ऐसा कहते हुए डोंग मुस्कुराए और उनके चेहरे पर शांत और आनंद देनी वाली खुशी झलक रही थी।

लोग मौत से नहीं, मरने की प्रक्रिया से डरते हैं..

डोंग ने आगे कहा, "लोग सोचते हैं कि वे मृत्यु से डरते हैं। लेकिन वास्तव में वे मरने की प्रक्रिया से डरते हैं। जीवन का अंत अपने आप में पूरी तरह से स्वाभाविक है। इस पर उनकी बेटी सानबाई ने डबडबाई आंखों से जवाब देते हुए कहा, "मैं समझती हूं, लेकिन मेरा दिल अब भी आपको खोने की बात को स्वीकार नहीं कर सकता।" इस पर डोंग ने बेटी को दिलासा देते हुए कहा, "ज्यादा दुखी होने की जरूरत नहीं है। बस, ये सोच लो कि मैं एक सफर पर जाने के लिए तैयार हूं। जब तक तुम मुझे अपने दिल में रखोगी, मैं हमेशा वापस आने का रास्ता खोज लूंगा"।

डोंग ने बेटी को पूरी आजादी से जीने के लिए प्रेरित किया

डोंग ने बेटी को पूरी तरह जीने, सजने-संवरने, घूमने-फिरने और हमेशा मुस्कुराने के लिए प्रोत्साहित किया। डोंग ने अपनी बेटी के शादी न करने या बच्चे न पैदा करने के फैसले का भी समर्थन किया। उन्होंने कहा, यह बिल्कुल सामान्य फैसला है। तुम्हारी जिंदगी आखिर तुम्हारी है। सानबाई ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट को बताया, "मेरे पिता सम्मान और गुणवत्ता के साथ जीना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि वह लड़ते रहें, लेकिन अंततः हमने उनके फैसले का सम्मान करने का फैसला किया।" बता दें कि इस बातचीत ने लाखों लोगों को भावुक कर दिया और चीन के सोशल मीडिया पर जिंदगी, बीमारी और मौत के बारे में भावनात्मक चर्चाएं शुरू कर दीं।

बेटी को पिता के लिए अब भी किसी चमत्कार की उम्मीद

सानबाई ने कहा कि उसने जीवन की नश्वरता को स्वीकार करना सीख लिया है, लेकिन उसे अभी भी किसी चमत्कार की उम्मीद है, जो उसके पिता को कुछ और समय तक जीने दे। सानबाई हाल ही में पिता को लॉन्गड्राइव पर ले गई और उनके साथ कुछ तस्वीरें खिंचवाईं। बाप-बेटी की इस इमोशनल बातचीत को चीन में 2.5 करोड़ से ज्यादा बार देखा गया है।

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