वैज्ञानिकों के अनुसार आम तौर पर यह माना जाता है कि प्रत्येक प्रकोप की उत्पत्ति प्राकृतिक होती है और इसमें अप्राकृतिक उत्पत्ति के लिए जोखिम का आकलन शामिल नहीं होता। नये अध्ययन के मुताबिक अनुसंधानकर्ताओं ने आकलन उपकरण जीएफटी का संशोधित रूप विकसित किया है जिसे पूर्व के प्रकोपों के अध्ययन में प्रमाणित किया जा चुका है।
मेलबर्न. अनुसंधानकर्ताओं ने एक ऐसा उपकरण विकसित किया है जो यह पता लगाने में मदद कर सकता है कि किसी भी महामारी के लिए जिम्मेदार रोगाणु प्राकृतिक है या किसी प्रयोगशाला में तैयार किया गया है। इस खोज के जरिए कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी के प्रकोप की उत्पत्ति की बेहतर तरीके से जांच करने में मदद मिलेगी।
पहले के प्रकोपों में इस उपकरण को प्रमाणित किया जा चुका है
वैज्ञानिकों के अनुसार आम तौर पर यह माना जाता है कि प्रत्येक प्रकोप की उत्पत्ति प्राकृतिक होती है और इसमें अप्राकृतिक उत्पत्ति के लिए जोखिम का आकलन शामिल नहीं होता। नये अध्ययन के मुताबिक अनुसंधानकर्ताओं ने आकलन उपकरण जीएफटी का संशोधित रूप विकसित किया है जिसे पूर्व के प्रकोपों के अध्ययन में प्रमाणित किया जा चुका है। अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि कोई प्रकोप अप्राकृतिक है यह निर्धारित करने के लिए इस उपकरण में 11 मानदंड हैं। इसमें राजनीतिक या आतंकवादी माहौल की मौजूदगी को आंका जाता है जिसमें कोई जैविक हमला ईजाद किया जा सकता है।
अप्राकृतिक वायरस अत्यंत उग्र होता है
इस उपकरण में यह भी जांचा जाता है कि रोग फैलाने वाला कोई जीव असामान्य, दुर्लभ, अप्रचलित , नया उभरने वाला, परिवर्तित या विभिन्न उत्पत्तियों, आनुवंशिक रूप से संशोधित या कृत्रिम जैव प्रौद्योगिकी का नतीजा तो नहीं है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसे रोगाणु अत्यंत उग्रता, असामान्य पर्यावरण में भी जीवित रहने, रोगनिरोधी एवं चिकित्सा उपायों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता दिखाते हैं या इनकी पहचान करने और पता लगाने में कठिनाई आती है।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)
(प्रतीकात्मक फोटो)