Hottest Place On Earth: जहां नदी बन जाती है नमक का ढेर, ज्वालामुखी से निकलती है आग

इथियोपिया का डेनेकिल डिप्रेशन दुनिया का सबसे गर्म इलाका है। इस पूरे क्षेत्र में कई जिंदा ज्वालामुखी हैं, जिनसे हर वक्त लावा और धुआं निकलता रहता है।हां पूरे साल मौसम बेहद-बेहद गर्म रहता है।

वॉशिंगटन: अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित डेथ वैली (Death Valley)  को हाई टेंपरेचर के लिए जाना जाता है, जहां लाल रंग की चट्टानों और पहाड़ों से बनी डेथ वैली में सूरज की तपिश बेहद ज्यादा होती है। लेकिन क्या आप इथियोपिया (Ethiopia) के डेनेकिल डिप्रेशन (Danakil Depression) के बारे में जानते हैं, जहां पूरे साल तापमान में कोई बदलाव नहीं होता है। यहां पूरे साल मौसम बेहद-बेहद गर्म रहता है। दिसंबर-जनवरी में जब दुनिया के ज्यादातर हिस्से ठंडे हो जाते हैं, तब भी यहां टेंपरेचर औसतन 35 डिग्री सेल्सियस बना रहता है।

अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर यहां ऐसा क्या है, जिस कारण पूरे साल इतनी गर्मी बनी रहती है, तो चलिए आपको इसी के बारे में बताते हैं। वैसे, तो डेनेकिल डिप्रेशन के गर्म होने की वजह कई हैं, लेकिन सबसे अहम धरती के नीचे की हलचल है। यहां धरती के नीचे तीन टेक्टॉनिक प्लेटें हैं, जो काफी तेजी से एक-दूसरे से दूर जा रही हैं। इस अंदरुनी मूवमेंट का असर ऊपर भी दिखता है।

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Danakil Depression में ज्वालामुखी से निकलता है लावा

इसके अलावा इस पूरे क्षेत्र में कई जिंदा ज्वालामुखी हैं, जिनसे हर वक्त लावा और धुआं निकलता रहता है। चाहे कोई भी मौसम हो, यहां हर समय हवा में आग की धधक और जलने की गंध आती है। इस वजह से यहां लोग आने से बचते हैं।जानकारी के मुताबिक यहां अर्टा एले नाम का एक ज्वालामुखी है, जो लगभग सवा 6 सौ मीटर ऊंचा है। इस के शिखर पर दो लावा झीलें बनी हुई हैं।

साल 1906 में यहां पहली लावा झील बनी थी। गौरतलब है कि ये झीलें पानी नहीं बल्कि खौलते हुए लावा से बनी है। हैरान करने वाली बात यह है कि यहां ज्वालामुखी से निकलने वाला लावा ठंडा नहीं पड़ता। वैज्ञानिक इसकी वजह भी टेक्टॉनिक प्लेट्स को ही मानते हैं। इसके अलावा यहां कई औऱ छोटे-बड़े ज्वालामुखी हैं, जो सक्रिय हैं।

Danakil Depression की नदी में इकट्ठा हो जाता है नमक

यहां की मिट्टी और चट्टानें बाकी दुनिया से अलग हैं। देखने पर ये कोई दूसरा ग्रह लगता है। हैरान करने वाली बात यह है कि डेनेकिल में गर्मी होने के बावजूद पानी की एक नदी भी है। इसे अवाश नदी कहते हैं। यह नदी भी बाकी नदिंयो से अलग है। नदी लंबी होने के बावजूद कभी समुद्र तक नहीं पहुंच पाती है। इसका पानी कुछ-कुछ महीनों में सूख जाता है और नीचे नमक इकट्ठा हो जाता है।

ज्वालामुखी और गर्म पानी के सोतों की वजह से यह नदी पूरी तरह से एसिडिट हो चुकी है। हालांकि, यही चीज वहां रहने वालों के काम आती है। स्थानीय लोग नदी में जमा होने वाले नमक को इकठ्ठा करके बाजार में बेच देते हैं। इसे यहां 'व्हाइट गोल्ड' कहा जाता है। बता दें कि यहां के लोगों के पास नमक बेचने के अलावा इनकम का कोई दूसरा सोर्स नहीं है।

डेनेकिल डिप्रेशन रहता है घुमंतु समुदाय

यहां सालभर में बारिश भी सौ से 2 सौ मिलीमीटर तक ही होती है। यह भारत में होने वाली औसतन वर्षा लगभग डेढ़ सौ सेंटीमीटर है। इतनी भीषण गर्मी के बाद भी यहां अफार जनजाति के लोग रहते हैं। घुमंतु समुदाय के इन लोगों की आबादी वैसे तो लगभग 30 लाख है, लेकिन सालभर डेनेकिल में रहने की बजाए वे आसपास घूमते रहते हैं। खासकर यह गर्मियों के मौसम में पड़ोसी इलाकों में चले जाते हैं।

डेनेकिल डिप्रेशन में पाई जाती हैं कई वनस्पतियां और कीटाणु

डेनेकिल में भले ही प्रस्थितियां रहने के लिए मुश्किल हों, लेकिन यहां भी वनस्पतियां और कीटाणु पल रहे हैं। वैज्ञानिक भाषा में इन्हें एक्सट्रीमोफाइल कहा जाता है, यानी वो चीजें, जो बेहद विषम हालातों में भी जिंदा रह सकें। इनकी स्टडी से साइंटिस्ट्स ये भी समझना चाह रहे हैं कि क्या आगे चलकर एक्सट्रीम हालातों में दूसरे ग्रहों पर जीवन संभव हो सकेगा।

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