पाकिस्तान पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता ही जा रहा है। देश की पूरी अर्थव्यवस्था कर्ज के मकड़जाल में फंस गई है। अभी हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने 500 मिलियन डॉलर का कर्ज पाकिस्तान को दिया। इसके कुछ ही दिनों के बाद वर्ल्ड बैंक (World Bank) ने 1 बिलियन डॉलर का लोन दिया है।
इंटरनेशनल डेस्क। पाकिस्तान पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता ही जा रहा है। देश की पूरी अर्थव्यवस्था कर्ज के मकड़जाल में फंस गई है। अभी हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने 500 मिलियन डॉलर का कर्ज पाकिस्तान को दिया। इसके कुछ ही दिनों के बाद वर्ल्ड बैंक (World Bank) ने 1 बिलियन डॉलर का लोन दिया है। वर्ल्ड बैंक ने पाकिस्तान के साथ 1.336 बिलियन अमेरिकी डॉलर का लोन देने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किया है। इसका मकसद देश के विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाना है। साथ ही, इससे सामाजिक क्षेत्र के कार्यक्रमों में सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। सामाजिक सुरक्षा, आपदा और पर्यावरण के प्रबंधन में सरकार पैसा लगा सके, इसके लिए यह कर्ज दिया गया है। साथ ही कृषि और खाद्य सुरक्षा के लिए बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिए कुल 6 परियोजनाओं को पूरा करने के लिए कर्ज में मिली इस राशि का इस्तेमाल किया जाएगा।
समझौतों पर हुए ऑनलाइन दस्तखत
आर्थिक मामलों के मंत्रालय के सचिव नूर अहमद (Noor Ahmad) ने पाकिस्तान सरकार की ओर से लोन के इन समझौतों पर दस्तखत किए। वहीं सिंध, खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान की प्रांतीय सरकारों के प्रतिनिधियों ने भी संबंधित समझौतों पर ऑनलाइन दस्तखत किए।
क्या कहा वर्ल्ड बैंक के कंट्री डायरेक्टर ने
वर्ल्ड बैंक के कंट्री डायरेक्टर नाजी बेन्हासिन (Najy Benhassine) ने बैंक की ओर से समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इस मौके पर आर्थिक मामलों के मंत्री खुसरो बख्तियार (Khusro Bakhtyar) भी कार्यक्रम में शामिल हुए। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, पहला 600 मिलियन डॉलर का लोन एग्रीमेंट क्राइसिस-रिसिलिएंट सोशल प्रोटेक्शन प्रोग्राम (CRISP) से संबंधित है, जो सामाजिक सुरक्षा प्रणाली के विकास के लिए है। इसका मकसद गरीब और कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि के लोगों को सहायता देना है, ताकि वे खुद अपना विकास कर सकें। इस लोन को वर्ल्ड बैंक के कार्यकारी निदेशकों के बोर्ड ने अंतरराष्ट्रीय विकास संघ (IDA) कार्यक्रम के तहत स्वीकृत किया था और 1 दिन पहले ही इस पर हस्ताक्षर किए गए थे।
कोरोना महामारी का असर
बता दें कि कोरोना महामारी (COVID-19) के बीच पूरे पाकिस्तान में लाखों की संख्या में परिवार आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं। खास कर जो लोग असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं, उनकी हालत ज्यादा ही खराब है। उनके लिए किसी तरह की सामाजिक सुरक्षा का कोई सरकारी कार्यक्रम नहीं है। वर्ल्ड बैंक के कंट्री हेड नाजी बेनहासीन ने कहा क्राइसिस-रिसिलिएंट सोशल प्रोटेक्शन प्रोग्राम (CRISP) के तहत असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों को सुविधा देने की कोशिश की जाएगी। इसका मकसद असंगठित मजदूरों, खास तौर पर महिलाओं को आर्थिक मदद पहुंचाना है।
अर्थव्यवस्था माइनस 0.38 फीसदी की दर पर
बता दें कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भी देश के आर्थिक विकास के 4 लंबित समीक्षाओं को मंजूरी देने के बाद पाकिस्तान के लिए 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर की अगली किस्त को जारी करने पर सहमति जताई। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था गहरे संकट में घिर गई है। बताया जा रहा है कि 68 सालों में पहली बार पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था माइनस 0.38 फीसदी के विकास दर पर आ गई है।