अफगानिस्तान सरकार की सलाहकार जोविता थॉमस Exclusive: तालिबान भरोसे लायक नहीं, भारत को रहना होगा अलर्ट...

एशियानेट न्यूज डिजिटल ने अफगानिस्तान सरकार की सलाहकार रहीं जोविता थॉमस ने अफगानिस्तान के वर्तमान हालात, अनुभवों पर विस्तार से चर्चा की है। थॉमस तालिबान के चालों और अफगानिस्तान की रणनीतिक मसलों पर खुलकर चर्चा की हैं। केरल के त्रिशूर की जोविता थॉमस तीन मंत्रालयों की सलाहकार हैं और देश के सबसे बड़े ग्रामीण विकास कार्यक्रम के प्रमुख हैं।

Asianet News Hindi | Published : Aug 19, 2021 1:34 PM IST / Updated: Aug 19 2021, 07:26 PM IST

काबुल। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल जो तालिबान से सबसे सुरक्षित शहर माना जाता था लेकिन आज उस पर भी तालिबान ने कब्जा कर रखा है। यह करीब दो दशक पहले की बात है अफगानिस्तान अपना पुनर्निमाण कर रहा था। लाखों करोड़ों का यहां इन्वेस्टमेंट होना शुरू हो गया था। एक आम धारणा बन चुकी थी कि साउथ अफगानिस्तान के चार राज्यों के अलावा तालिबान अन्य जगहों पर सक्रिय नहीं हो सकेगा। काबुल तो सबसे सुरक्षित था। लेकिन अब स्थितियां विपरीत हैं।

एशियानेट न्यूज डिजिटल ने अफगानिस्तान सरकार की सलाहकार रहीं जोविता थॉमस (Jovitta Thomas) ने अफगानिस्तान के वर्तमान हालात, अनुभवों पर विस्तार से चर्चा की है। थॉमस तालिबान के चालों और अफगानिस्तान की रणनीतिक मसलों पर खुलकर चर्चा की हैं। 

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यहां आपको बता दें कि केरल के त्रिशूर की जोविता थॉमस तीन मंत्रालयों की सलाहकार हैं और देश के सबसे बड़े ग्रामीण विकास कार्यक्रम के प्रमुख हैं। वह उन मुट्ठी भर प्रवासियों में भी हैं, जिन्होंने तालिबान के हार्टलैंड में काम किया है और उनके साथ बातचीत की है। 

अल्पसंख्यकों के लिए तालिबान का प्यार धोखा

एशियानेट न्यूज से बातचीत करते हुए अफगान सरकार की सलाहकार के तौर पर काम कर रही जोविता थॉमस ने कहा कि अल्पसंख्यकों के लिए तालिबान का प्यार और महिला सुरक्षा का वादा धोखा दिया गया है। जोविता ने बताया कि तालिबान-चीन-पाकिस्तान गठबंधन भारत के लिए खतरा है और अफगानिस्तान में गठबंधन सरकार संभव है।

थॉमस ने कहा कि किसी ने भी नहीं सोचा था कि ऐसा नहीं होगा। काबुल को लेकर तो कभी ऐसा सोचा भी नहीं था। 2004 पहला राष्ट्रपति चुनाव था। देश बहुत आशान्वित था। वह भविष्य को लेकर सपने बुन रहा था। करीब पांच साल बाद 2009 में अफगानिस्तान विकास की राह पर तेजी से बढ़ रहा था लेकिन सच्चाई यह भी थी कि उस वक्त देश के चार राज्यों जोकि पाकिस्तान सीमा से सटे हुए थे, वहां तालिबान को रोकने के लिए अमेरिकी व अन्य सैनिक लड़ भी रहे थे। यह साउथ अफगानिस्तान का क्षेत्र था जो तालिबान का हार्टलैंड भी कहा जाता है। 

2011 के बाद तालिबान ने होल्ड बनाना शुरू कर दिया

वह कहती हैं कि काबुल तो काफी सुरक्षित था। लेकिन 2011 के बाद से हम सुनने लगे कि ग्रामीण क्षेत्रों में तालिबान ने होल्ड बनाना शुरू कर दिया। हम इस समय से सुनने लगे कि तालिबान खुद या अलकायदा कई छोटे छोटे क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा। 

तालिबान की बातों पर भरोसा किया ही नहीं जा सकता

बातचीत में जोविता थॉमस ने यह साफ तौर पर कहा कि तालिबान की बातों पर भरोसा किया ही नहीं जा सकता है। भारत को तो काफी सावधान रहने की आवश्यकता है क्योंकि तालिबान के साथ पाकिस्तान और चीन एक नया गठबंधन बना रहे हैं। वह अपने फायदे के लिए तालिबान का दुरुपयोग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और चीन तो काफी पहले से ही भारत को कमजोर करने में जुटे रहते हैं। अब भारत को तालिबान-पाकिस्तान-चीन की धुरी से सावधान रहना चाहिए।
थॉमस ने अफगानिस्तान में करजई के साथ तालिबान के सरकार बनाने की भी बात कही है। उन्होंने कई प्रमुख विषयों पर विस्तार से चर्चा की है। 

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