विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा- वर्तमान स्थिति के मुताबिक कार्य प्रगति पर है। लेकिन इसकी रफ्तार कम है। इसे तेज करने की जरूरत है, क्योंकि यह एलएसी पर डिसइंगेजमेंट के लिए आवश्यक है।
नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर (EAM Dr. S jaishankar) और चीनी विदेश मंत्री के बीच शुक्रवार को तकरीबन तीन घंटे तक बातचीत हुई। इस दौरान एलएसी (LAC) पर जारी गतिरोध समेत कई मुद्दों पर सकारात्मक बातचीत हुई। विदेश मंत्री ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ वार्ता समाप्त हुई। हमने लगभग 3 घंटे तक चर्चा की और खुले और स्पष्ट तरीके से एक व्यापक मूल एजेंडे पर बातचीत की। दरअसल, अप्रैल 2020 से दोनों देशों के बीच चल रहे गतिरोध की वजह से कुछ बातचीत बाधित हुई थीं। इस दौरान दोनों के बीच पूर्वी लद्दाख विवाद और यूक्रेन संकट से पैदा हुई भू-राजनीतिक उथल-पुथल के मुद्दों को लेकर भी दोनों मंत्रियों के बीच बातचीत हुई।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा- वर्तमान स्थिति के मुताबिक कार्य प्रगति पर है। लेकिन इसकी रफ्तार कम है। इसे तेज करने की जरूरत है, क्योंकि यह एलएसी पर डिसइंगेजमेंट के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए तेजी की आवश्यकता है। विदेश मंत्री ने चीनी समकक्ष से कहा कि हमें सीमा पर शांति से कम कुछ भी मंजूर नहीं है।
चीन में भारतीय छात्रों की समस्याओं का जिक्र
चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ बैठक में भारत के विदेश मंत्री ने कहा- ‘1993-96 के समझौतों का उल्लंघन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में सैनिकों की मौजूदगी है। यही वजह है कि चीन से हमारे रिश्ते सामान्य नहीं हैं। जयशंकर ने बताया कि मैंने चीन में पढ़ रहे भारतीय छात्रों की दुर्दशा के मुद्दे को भी चीनी मंत्री के सामने दृढ़ता से रखा। गौरतलब है कि चीन में भारतीय छात्रों को COVID -19 प्रतिबंधों का हवाला देते हुए वापस जाने की अनुमति नहीं है। जयशंकर ने उम्मीद जताई कि चीन भेदभाव नहीं करेगा, क्योंकि यह भारतीय युवाओं के भविष्य का मामला है। उन्होंने कहा कि चीन के विदेश मंत्री ने आश्वासन दिया है कि वापस जाने के बाद इस मामले में संबंधित अधिकारियों से बात करेंगे। चीनी विदेश मंत्री गुरुवार रात काबुल से दिल्ली पहुंचे थे।