पाकिस्तान में चल रहा आतंक का उद्योग, भारत दहशतगर्दों को नहीं कर सकता नजरअंदाज: एस जयशंकर

Published : Mar 23, 2024, 05:47 PM ISTUpdated : Mar 23, 2024, 06:06 PM IST
External Affairs Minister S Jaishankar

सार

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सिंगापुर में कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद को उद्योग के स्तर पर प्रायोजित कर रहा है। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावों को हास्यास्पद बताया। 

सिंगापुर। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सिंगापुर में एक कार्यक्रम के दौरान चीन और पाकिस्तान पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में आतंकवाद उद्योग के स्तर पर चल रहा है। भारत आतंकवादियों को नजरअंदाज नहीं कर सकता। अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावों पर जयशंकर ने कहा कि यह हास्यास्पद है।

विदेश मंत्री ने शनिवार को सिंगापुर में अरुणाचल प्रदेश पर दावा करने के लिए चीन पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावे शुरू से हास्यास्पद हैं। यह भारत का स्वाभाविक हिस्सा है।"

तीन दिन की यात्रा पर सिंगापुर गए हैं जयशंकर

एस जयशंकर तीन दिन की यात्रा पर सिंगापुर गए हैं। उन्होंने नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर (एनयूएस) के इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ एशियन स्टडीज (आईएसएएस) में अपनी किताब 'व्हाई भारत मैटर्स' पर बातचीत की। पिछले दिनों चीन ने अरुणाचल प्रदेश का मुद्दा उठाया था। चीनी सेना ने अरुणाचल प्रदेश को "चीन का स्वाभाविक हिस्सा" बताया था। इसके बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने अरुणाचल प्रदेश को भारत का "अभिन्न" हिस्सा बताते हुए चीन के दावों को "बेतुका" कहकर खारिज किया था।

पाकिस्तान उद्योग से स्तर प्रायोजित कर रहा आतंकवाद

पाकिस्तान को लेकर जयशंकर ने कहा कि यह देश अब लगभग "उद्योग स्तर" पर आतंकवाद को प्रायोजित कर रहा है। भारत का फिलहाल आतंकवादियों को नजरअंदाज करने के मूड में नहीं है। उन्होंने कहा, "यह एक बार होने वाली घटना नहीं है। ऐसा लगातार हो रहा है, लगभग उद्योग स्तर पर आतंकियों को प्रायोजित किया जा रहा है। इसलिए हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि हमें (खतरे) से निपटने का तरीका ढूंढना होगा। अगर हम समस्या से बचने की कोशिश करते हैं तो इससे और अधिक परेशानी होगी।"

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पाकिस्तान को लेकर जयशंकर ने कहा कि कोई ऐसे पड़ोसी से कैसे निपट सकता है जो आतंकवाद को इंस्ट्रूमेंट के रूप में इस्तेमाल करता है और इसे छिपाता भी नहीं है। उन्होंने कहा, “हर देश चाहता है कि उसके पड़ोसी देश स्थिर हों। अगर और कुछ नहीं तो आप कम से कम एक शांत पड़ोस चाहते हैं।”

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